Smart Farming in India: लाखों किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है स्मार्ट फार्मिंग

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नई दिल्ली Smart Farming in India (Hindi): देश में खेती-किसानी को उन्नत बनाने और किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी करने के लिए लगातार नई तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है. किसान स्मार्ट फार्मिंग के जरिये उत्पादन में बढ़ोतरी कर अधिक लाभ कमा सकते है. बीते कई सालों से केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा इस दिशा में निरंतर प्रयास किये जा रहे, जिनके परिणाम भी सामने आ रहे हैं. कृषि के क्षेत्र में नवाचार करने से किसान आर्थिक तौर पर मजबूत हो रहा है .

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा देश में वर्ष 2021 से वर्ष 2025 तक के लिये डिजिटल कृषि मिशन की शुरुआत की गई है. News On AIR के मुताबिक इस योजना के तहत कृषि क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ब्लॉक चेन, रिमोट सेंसिंग और GIS तकनीक, ड्रोन व रोबोट के उपयोग के अलावा डिजिटल इकोसिस्टम ऑफ एग्रीकल्चर (IDEA), किसान डेटाबेस, एकीकृत किसान सेवा इंटरफेस (UFSI), नई तकनीक (NIGPA) पर राज्यों को वित्त पोषण के अलावा पूर्वानुमान केंद्र (MNCFC), मृदा स्वास्थ्य, उर्वरता और प्रोफाइल मैपिंग के जरिए राष्ट्रीय फसल में सुधार लाना शामिल है.

प्रति बूंद अधिक फसल योजना

केंद्र सरकार द्वारा देश किसानों को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के घटक ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ (पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी) के तहत किसानों को पानी की प्रति बूंद का महत्त्व समझाते हुए विभिन्न सिंचाई तकनीकों के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद देता है कृषि नवाचार को बढ़ावा

देश में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) खेती-किसानी में नए-नए प्रयोग, विस्तार और तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देता है. टीवी9 पर छपी एक खबर में प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक 2014-21 के दौरान विभिन्न कृषि फसलों के लिए कुल 1575 खेत फसल किस्में जारी की गईं. 2014-21 के दौरान किसानों को मोबाइल के माध्यम से 91.43 करोड़ कृषि परामर्श प्रदान किए गए. वहीं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा 2014-21 के दौरान विभिन्न कृषि और किसान संबंधित सेवाओं पर 187 मोबाइल ऐप भी विकसित किये जा चुके है.

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नीति आयोग (पूर्ववर्ती योजना आयोग) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट

नीति आयोग (पूर्ववर्ती योजना आयोग) द्वारा 2016 में “किसानों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्रभावशीलता” शीर्षक से एक अध्ययन-रिपोर्ट जारी की गयी थी।

  • अध्ययन में पाया गया, कि अन्य बातों के अलावा, सरकार द्वारा घोषित ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (Minimum Support Price – MSP) ने अध्ययन के अंतर्गत आने वाले 78 प्रतिशत किसानों को, खेती के उन्नत तरीकों जैसे कि बीज की अधिक उपज देने वाली किस्मों, जैविक खाद, रासायनिक उर्वरक, कीटनाशकों और उन्नत खेती, कटाई आदि के तरीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है।
  • सरकार, भारतीय खाद्य निगम (FCI) और राज्य एजेंसियों के माध्यम से धान और गेहूं के लिए मूल्य समर्थन प्रदान करती है।
  • इसके अतिरिक्त,’ प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान’ (PM-AASHA) की अंब्रेला योजना की ‘मूल्य समर्थन योजना’ के तहत पंजीकृत किसानों से ‘उचित औसत गुणवत्ता’ (Fair Average Quality – FAQ) के तिलहन, दालें और खोपरा की खरीद निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार की जाती है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य:

‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (MSP) वह दर है, जिस पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है। इससे किसानों को कीमतों में उतार-चढ़ाव सहन करने में मदद मिलती है और बुनियादी न्यूनतम आय सुनिश्चित होती है।

MSP में शामिल फसलें:

वर्तमान में, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति, खरीफ और रबी, दोनों मौसमों में उगाई जाने वाली 23 फसलों के लिए ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ निर्धारित करती है।

इन अनिवार्य फसलों में, खरीफ मौसम की 14 फसलें, रबी की 6 फसलें और 2 अन्य वाणिज्यिक फसलें शामिल हैं।

  • 14 खरीफ फसलें: धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी, अरहर/अरहर, मूंग, उड़द, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, नाइजरसीड, कपास।
  • छह रबी फसलें: (गेहूं, जौ, चना, मसूर/मसूर, रेपसीड और सरसों, और सूरजमुखी।
  • दो व्यावसायिक फसलें: जूट और खोपरा।

स्रोत: इनसाइट ऑन इंडिया

बढ़ाई गई एमएसपी

2018-19 के केंद्रीय बजट में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को उत्पादन लागत के डेढ़ गुना के स्तर पर रखने के लिए पूर्व निर्धारित सिद्धांत की घोषणा की गई थी। इसी सिद्धांत के अनुरूप, सरकार ने 9 जून, 2021 को वर्ष 2021-22 की सभी अनिवार्य खरीफ फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि की घोषणा की थी। किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर अपेक्षित लाभ बाजरा (85%) के मामले में सबसे अधिक होने का अनुमान है, इसके बाद उड़द (65%) और अरहर (62%) का स्थान आता है। बाकी फसलों के लिए, किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर कम से कम 50% का लाभ मिलने का अनुमान है। स्रोत: पीआईबी

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जगत पाल पिलानिया है ! मैं ई मंडी रेट्स (eMandi Rates) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों को फसलों के ताजा मंडी भाव, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाना है। ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है।

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