मंडी शुल्क में कटौती: किसानों द्वारा उत्पादित फसलों को कृषि उपज मंडियों में बेचने के लिए सभी राज्यों की अनाज मंडियों में मंडी शुल्क (टैक्स) लिया जाता है. मंडी टैक्स से होने वाली इस आमदनी से कृषि उपज मंडियों में किसानों के लिए सड़कें, पेयजल, शौचालय, ठहरने और पार्किंग की व्यवस्था प्रशाशन द्वारा मुहैया करवाई जाती है। अनाज मंडियों में लिया जाने वाला यह शुल्क अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हो सकता है क्योकि यह राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है।
गुरुवार 26 नवंबर को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा कृषि उपज मंडियों में व्यापारियों से लिए जाने वाले मंडी शुल्क में 75% की कटौती की गई है। इस कटौती के बाद अब मंडियों में 50 पैसे मंडी शुल्क लगेगा , जानकारी के लिए आपको बता दे की इस मंडी टैक्स में कटौती से पूर्व यह 1.50 रूपये प्रति सैकड़ा था।
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अभी हाल ही में उत्तरप्रदेश की योगी सरकार द्वारा भी मंडी शुल्क की दर को 2% से घटाकर 1% कर दिया है। जिसका सीधा लाभ इन दोनों राज्यों के किसानों और व्यापारियों को मिलेगा ।
मध्यप्रदेश में मंडी शुल्क 1.50 रुपये से घटाकर 50 पैसे किया गया
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने वीसी के माध्यम से कैबिनेट की बैठक ली। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अब व्यापारियों से मंडी शुल्क ₹1.50 के स्थान पर 50 पैसे प्रति ₹100 होगा। यह छूट मध्य प्रदेश राज्य में 14 नवंबर 2020 से आगामी 3 माह के लिए की गई है । मध्य प्रदेश सरकार ने गत दिनों व्यापारियों से इस संबंध में वादा किया था जिसे अब पूरा कर दिया है। 3 महीने के बाद इस मंडी शुल्क छूट के परिणामों की समीक्षा की जायेगी जिसके बाद आगे के लिए छुट देनी है या नही इस सम्बन्ध में निर्णय लिया जाएगा।
पिछले साल मंडी शुल्क से हुई थी 1200 करोड़ रुपये की आय
गत वर्ष यानि 2019-20 में मध्य प्रदेश की कृषि उपज मंडी समितियों को मंडी टैक्स एवं अन्य स्रोतों से तकरीबन 1200 करोड़ रुपए की आय अर्जित हुई थी। मंडी बोर्ड में लगभग 4200 तथा मंडी समिति सेवा में तकरीबन 2900 कर्मचारी कार्यरत हैं तथा लगभग 2970 सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं। इनके वेतन भत्तों पर गत वर्ष 677 करोड़ रुपए का खर्च हुआ था।
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