नई दिल्ली। देश के आम लोगों से लेकर बैंकों तक की नजर आज के जिस बड़े फैसले पर टिकी थी, उसका ऐलान हो गया। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के नतीजे सामने आ गए हैं, और गवर्नर संजय मल्होत्रा ने स्पष्ट किया है कि इस बार रेपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यानी, अगर आप होम लोन या पर्सनल लोन की EMI घटने की उम्मीद कर रहे थे, तो फ़िलहाल आपको कोई नई राहत नहीं दी गई है, हालांकि अच्छी बात ये भी है की कोई नया बोझ भी नहीं डाला गया है। यानी जैसा चल रहा था वहीं चलता रहेगा।
रेपो रेट में बदलाव क्यों नहीं किया गया?
MPC की पिछली तीन बैठकों में लगातार कटौती देखने को मिली थी, जिससे रेपो रेट 5.50% तक आ गया था। लेकिन इस बार हालात कुछ अलग हैं। गवर्नर ने कहा कि भारत-अमेरिका टैरिफ (India-US Tariff) मुद्दे पर अनिश्चितता, त्योहारी सीजन में मांग की गति, और ग्लोबल इकोनॉमी के मिले-जुले संकेतों को देखते हुए फिलहाल स्थिरता ही सही फैसला होगा।
रेपो रेट होता क्या है और इसका असर आप पर कैसे पड़ता है?
बहुत से लोग ये सवाल पूछते हैं की रेपो रेट क्या है? तो जानकारी के लिए आपको बता दे कि
यह दर वह ब्याज दर होती है जिस पर RBI देश के बैंकों को लोन देता है। जब रेपो रेट घटता है, तो बैंक को सस्ता लोन मिलता है और वो ग्राहकों को भी कम ब्याज पर होम लोन, ऑटो लोन या पर्सनल लोन देने लगते हैं। लेकिन जब रेपो रेट स्थिर रहता है, तो EMI में भी बदलाव नहीं आता।
भारत की GDP ग्रोथ पर क्या है RBI का भरोसा?
RBI ने इस बैठक में केवल ब्याज दर ही नहीं, बल्कि देश की आर्थिक सेहत का भी आकलन पेश किया। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए GDP ग्रोथ अनुमान को 6.5% पर बरकरार रखा गया है।
- Q1: 6.5%
- Q2: 6.7%
- Q3: 6.6%
- Q4: 6.3%
इसके अलावा अगले वित्त वर्ष में रियल GDP ग्रोथ 6.6% रहने का अनुमान है। जो दर्शाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेज़ी से आगे बढ़ रही है, और ग्लोबल चुनौतियों के बावजूद अपनी पकड़ मजबूत बनाए हुए है।
क्या महंगाई काबू में है?
गवर्नर ने यह भी बताया कि महंगाई के मोर्चे पर फिलहाल राहत है, लेकिन पूरी तरह से बेफिक्र होने का वक्त नहीं है।
- FY26 में कोर महंगाई के 3.1% रहने की उम्मीद है, जो जून में अनुमानित 3.7% से कम है।
- हालांकि, उन्होंने चेताया कि साल के अंत तक मुद्रास्फीति फिर से 4% के पार जा सकती है।
जुलाई 2025 में रिटेल महंगाई घटकर 3.54% पर आ चुकी है, जो सितंबर 2019 के बाद सबसे कम है। यानी फिलहाल आम आदमी की जेब पर थोड़ी राहत जरूर है।
फॉरेक्स रिजर्व और बैंकिंग सेक्टर की स्थिति क्या है?
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अब $688.9 अरब हो गया है, जो लगभग 11 महीने के आयात को कवर करने में सक्षम है।
- FY25 में बैंकिंग सेक्टर की ग्रोथ थोड़ी धीमी रही है।
- लेकिन फाइनेंशियल फ्लो में मजबूती और
- ग्लोबल सर्विस एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 4% के पार निकलना, अच्छे संकेत हैं।
RBI का संतुलित फैसला और आगे की राह
इस बार RBI ने न तो जनता को ज्यादा राहत दी, न ही ज्यादा बोझ डाला। ब्याज दर को स्थिर रखकर यह स्पष्ट संकेत दिया गया है कि जब तक ग्लोबल अस्थिरता खासकर भारत-अमेरिका व्यापार पर पूरी तरह स्पष्टता नहीं आती, तब तक केंद्रीय बैंक किसी जल्दबाज़ी में नहीं है।
त्योहारी सीजन में मांग में उछाल, अच्छा मानसून और कम महंगाई जैसे फैक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था को एक मजबूत ट्रैक पर बनाए हुए हैं । अब देखना होगा कि आने वाले महीनों में घरेलू और वैश्विक हालात किस ओर रुख करते हैं।