Solar Pump Subsidy in Rajasthan 2024-25: भारत सरकार और राज्य सरकारें किसानों को आर्थिक मदद पहुंचाने और खेती को लाभदायक बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं। इसी कड़ी में, राजस्थान सरकार ने 4 जिलों में किसानों को सोलर पंप लगाने के लिए सब्सिडी देकर सिंचाई को और सुलभ बनाने का प्रयास कर रही है।
किन जिलों के किसानों को मिलेगा इस योजना का लाभ?
राजस्थान के हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, बीकानेर और अनूपगढ़ जिलों के किसानों को इस सोलर पंप योजना का सीधा लाभ मिलेगा। इन जिलों में राज्य सरकार का जल संसाधन विभाग इंदिरा गांधी नहर परियोजना के तहत मरुस्थलीय इलाकों में सिंचाई के लिए सोलर पंप लगाने का कार्य करेगा। इस योजना का उद्देश्य किसानों को कम खर्च में अधिक सुविधा देकर खेती को लाभकारी बनाना है।
परियोजना की लागत और सब्सिडी
सरकार इस परियोजना पर 180 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। किसानों को सोलर पंप लगाने पर 60 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी, जबकि शेष 40 प्रतिशत खर्च किसान को स्वयं वहन करना होगा। आर्थिक रूप से कमजोर किसान बैंक से 30 प्रतिशत तक का लोन भी ले सकते हैं, ताकि उन्हें अपनी हिस्सेदारी चुकाने में कोई समस्या न हो।
पंप लगाने पर किसान का खर्चा कितना आएगा?
सोलर पंप लगाने के लिए किसानों के हिस्से का खर्च पंप की क्षमता और प्रकार के अनुसार तय किया गया है। नीचे दी गई तालिका में विभिन्न पंपों के लिए किसानों का योगदान दर्शाया गया है:
पंप की क्षमता | डीसी सरफेस पंप | एसी सरफेस पंप | डीसी सबमर्सिबल पंप | एसी सबमर्सिबल पंप |
---|---|---|---|---|
3 एचपी | ₹80,740 | ₹80,603 | ₹80,740 | ₹80,603 |
5 एचपी | ₹1,12,740 | ₹1,12,548 | ₹1,12,740 | ₹1,12,548 |
7.5 एचपी | ₹1,59,340 | ₹1,59,069 | ₹1,59,340 | ₹1,59,069 |
किसानों को इन योजनाओं का लाभ उठाकर सोलर पंप के माध्यम से अपनी सिंचाई व्यवस्था को मजबूत करने का सुनहरा मौका मिल रहा है।
योजना से जुड़े आवश्यक संपर्क
यदि आप इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं, तो आप किसान जल संसाधन विभाग के सभी सेक्शन कार्यालयों या कृषि विशेषज्ञ भूपेश अग्निहोत्री से संपर्क कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप मोबाइल नंबर 8769933262 पर कॉल कर सकते हैं।
सोलर पंप योजना क्यों है लाभकारी?
इस योजना के तहत किसानों को न केवल बिजली के बढ़ते बिलों से राहत मिलती है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा का उपयोग करके वे अपनी फसल की सिंचाई के लिए आत्मनिर्भर भी बन सकते हैं। इससे उनकी कृषि लागत कम होती है और फसल उत्पादन में वृद्धि होती है।