Lado Protsahan Yojana: राजस्थान में बेटियों के लिए एक नई उम्मीद की किरण लेकर आई है लाडो प्रोत्साहन योजना। सरकार ने बेटियों को 1.5 लाख रुपए देने का ऐलान तो कर दिया, लेकिन इस राशि के लिए उन्हें 21 साल की उम्र तक का इंतजार करना होगा। यह योजना न सिर्फ बेटियों का भविष्य संवारने का वादा करती है, बल्कि समाज में उनकी जगह को मजबूत करने का भी एक सुनहरा मौका देती है। तो आइए, इस योजना की हर बारीकी को समझते हैं और जानते हैं कि यह कैसे काम करेगी।
लाडो प्रोत्साहन योजना क्या है?
लाडो प्रोत्साहन योजना राजस्थान सरकार की एक खास पहल है। इसका मकसद बेटियों के जन्म को बढ़ावा देना और उनके लिए एक सुरक्षित भविष्य तैयार करना है। इस योजना के तहत हर बेटी को 1.5 लाख रुपए की आर्थिक मदद मिलेगी। यह राशि उनके जन्म से लेकर पढ़ाई और शादी तक के सफर में काम आएगी। सरकार का यह कदम बेटियों को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ी सोच को दिखाता है।
इस योजना का ढांचा बेहद साफ और व्यवस्थित है। बेटी के जन्म के साथ ही मां के खाते में पहली किस्त के रूप में 2500 रुपए जमा हो जाते हैं। इसके बाद अलग-अलग पड़ावों पर राशि मिलती रहेगी। जैसे कि स्कूल में दाखिला, दसवीं और बारहवीं पास करने पर। आखिरी किस्त 50,000 रुपए की होगी, जो बेटी के ग्रेजुएशन पूरा करने या 21 साल की उम्र होने पर दी जाएगी। यानी पूरी राशि पाने के लिए थोड़ा धैर्य तो रखना होगा।
लाडो प्रोत्साहन योजना की पहली किस्त जारी
महिला अधिकारिता विभाग ने इस योजना को जमीन पर उतारना शुरू कर दिया है। पहली किस्त के तहत बेटी के जन्म पर माता के खाते में 2500 रुपए दिए जा रहे हैं। विभाग द्वारा 30,000 बेटियों के लिए 7.5 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। यह राशि सीधे मां के खाते में पहुंच रही है। योजना के तहत 1.50 लाख रुपए का प्रावधान एक अप्रेल से लागू होगा।
8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बड़ा ऐलान किया। उन्होंने लाडो प्रोत्साहन योजना के सेविंग बॉन्ड की राशि को 1.5 लाख रुपए तक बढ़ाने की बात कही। साथ ही, 25 से 31 मार्च तक राजस्थान दिवस के मौके पर पूरे राज्य में कई कार्यक्रम होंगे। इनमें किसानों, युवाओं, महिलाओं और गरीबों के लिए कई तोहफे बांटे जाएंगे। बाड़मेर में हुए एक कार्यक्रम में सीएम ने महिलाओं और बेटियों के खातों में सीधे पैसे ट्रांसफर किए।
यह योजना सिर्फ पैसों की मदद तक सीमित नहीं है। यह समाज में बेटियों के प्रति नजरिया बदलने का भी एक जरिया बनेगी। शिक्षा को बढ़ावा देकर यह बेटियों को आत्मनिर्भर बनाएगी। साथ ही, बाल विवाह जैसी कुरीति पर भी लगाम लग सकती है, क्योंकि पूरी राशि तभी मिलेगी जब बेटी 21 साल की होगी या ग्रेजुएशन पूरा कर लेगी। यह एक ऐसा कदम है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल बनेगा।