सरसों और सोयाबीन साप्ताहिक रिपोर्ट 3 फ़रवरी 2025: पिछले सप्ताह सरसों के भाव में गिरावट देखने को मिली। सोमवार को जयपुर मंडी में सरसों 6,200 रुपये प्रति क्विंटल पर खुला, लेकिन शनिवार को यह 6,100 रुपये पर बंद हुआ। इस दौरान सरसों में मांग की कमी के चलते 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।
बीते सप्ताह की चाल पर एक नज़र
- सरसों में औसतन 150-175 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई।
- सरसों खल में 100 रुपये की गिरावट के बाद 30-40 रुपये की रिकवरी हुई।
- कच्ची घानी में 3-4 रुपये प्रति किलो की गिरावट देखी गई, लेकिन निचले स्तर से 2 रुपये प्रति किलो की रिकवरी आई।
मौसम का प्रभाव
मौसम विभाग ने राजस्थान में औसत से अधिक गर्मी की संभावना जताई है। गर्मी के कारण सरसों की फसल समय से पहले पक सकती है, जिससे उपज और उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
सरकारी बिकवाली
पिछले सप्ताह नाफेड ने करीब 14,000 टन सरसों की बिकवाली की, जबकि इससे पहले के सप्ताह में 80,000 टन सरसों बेची गई थी। अब तक नाफेड ने कुल 13.5 लाख टन सरसों की बिकवाली पूरी कर ली है।
सरसों भाव भविष्य की संभावनाएं 2025
- सरसों के भाव अधिकतर मंडियों में सपोर्ट स्तर के करीब हैं।
- नई फसल के आने में अभी समय है और मौसम प्रतिकूल रहने की संभावना है।
- नाफेड की सप्लाई कमजोर रहने से सरसों की कमी महसूस हो सकती है।
- मीलों की मांग बढ़ने से 150-200 रुपये प्रति क्विंटल की अस्थायी रिकवरी संभव है।
सरसों तेल का भाव सोया तेल के साथ अंतर कम हो गया है, जिससे 3-4 रुपये प्रति किलो की रिकवरी की संभावना है। फरवरी में सरसों और सरसों तेल के भाव स्थिर से मजबूत रह सकते हैं, लेकिन मार्च में आवक बढ़ने से करेक्शन की उम्मीद है।
सोयाबीन साप्ताहिक रिपोर्ट: मांग सीमित, भाव में मिला-जुला रुख
पिछले सप्ताह सोयाबीन के भाव में मिला-जुला रुख देखने को मिला। सोमवार को महाराष्ट्र के सोलापुर मंडी में सोयाबीन 4,310 रुपये प्रति क्विंटल पर खुला और शनिवार को भी यही भाव पर बंद हुआ।
बीते सप्ताह के मुख्य आंकड़े
- सोयाबीन के भाव सीमित मांग के चलते 25-50 रुपये प्रति क्विंटल गिरकर बंद हुए।
- क्रशिंग डिस्पैरिटी के कारण प्लांटों की क्रशिंग मांग सीमित बनी हुई है।
- अप्रैल-दिसंबर 2024 के बीच भारत ने 14.85 लाख टन सोयमील का निर्यात किया, जो पिछले साल की तुलना में अधिक है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार का प्रभाव
ब्राजील में सोयाबीन की कटाई शुरू हो गई है, जिससे सोयमील की सप्लाई बढ़ने की संभावना है। ब्राजील और अर्जेंटीना की तुलना में भारतीय सोयमील की डिमांड कमजोर बनी हुई है।
सरकारी खरीदारी
भारत सरकार ने एजेंसियों के माध्यम से करीब 17 लाख टन सोयाबीन की खरीदारी पूरी की है। जानकारों का मानना है कि सरकारी खरीदारी 18 लाख टन तक सिमट सकती है।
सोयाबीन भविष्य की संभावनाएं
- सोयाबीन में गिरावट जारी रहने का अनुमान है।
- महाराष्ट्र कीर्ति प्लांट चार्ट पर 4,300 रुपये प्रति क्विंटल का सपोर्ट स्तर है। इस स्तर के टूटने पर गिरावट बढ़ सकती है।
- सेबी ने सोयाबीन के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दिया है, जिससे तेजी की उम्मीद कम हो गई है।
निष्कर्ष
सरसों और सोयाबीन दोनों ही बाजारों में पिछले सप्ताह गिरावट देखी गई। सरसों में मौसम और सरकारी बिकवाली का प्रभाव जारी है, जबकि सोयाबीन में अंतरराष्ट्रीय बाजार और सरकारी खरीदारी का असर दिख रहा है। भविष्य में सरसों में अस्थायी रिकवरी की संभावना है, जबकि सोयाबीन में गिरावट जारी रह सकती है।