प्रदेश में मावठ से रबी की फसलों को भरपूर फायदा, उत्पादन में 15% तक की बढ़ोतरी की उम्मीद

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राजस्थान के अनेक ज़िलों में बीते हफ्ते हुई बारिश से उत्पादन में वृद्धि का अनुमान लगाया जा रहा है। फरवरी माह में हुई मावठ (Mavath) से रबी की फसलों को भरपूर फायदा मिलेगा, इससे किसान भी खुश नजर आ रहे है। हालांकि प्रदेश के कुछ भागों में बारिश ना होने और पाला पड़ने से सरसों व गेहूं की फसल में नुकसान की भी खबरें आ रही है।

मावठ से रबी की फसलों को भरपूर फायदा

कृषि विश्लेषकों के मुताबिक़ इस बारिश से रबी फसलों के उत्पादन में करीब 5 से 15 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी होगी । गौरतलब है कि राजस्थान सरसों तथा जौ का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है इसके अलावा गेहूं और चने का भी उत्पादन बड़े स्तर पर होता है।

यदि प्रदेश में आगामी 10 से 12 दिनों में एक और अच्छी बारिश हो जाती है तो फसलों के उत्पादन में बम्पर बढ़ोत्तरी के आसार बन जायेंगे, लेकिन उसके बाद यानी 25 फरवरी के बाद यदि भारी वर्षा हुई तो फसलों में फायदे की बजाय नुकसान होने का ख़तरा बन जाएगा। क्योंकि मार्च महीने में राजस्थान में गेहूं व जौ की फसलों की कटाई का कार्य शुरू हो जाएगा।

रबी सीजन बिजाई व उत्पादन का आंकड़ा

राजस्थान कृषि विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू रबी सीजन (2023-24) के दौरान प्रदेश में क़रीब 27.80 लाख हेक्टेयर से ज़्यादा क्षेत्र में गेहूं की बिजाई हुई और इसका कुल उत्पादन 1,04,15151 टन होने की उम्मीद है।

मावठ के कारण चना उत्पादन में कम से कम 5 फीसदि की वृद्धि होने के आसार हैं। वहां फरवरी के अंत से इस फसल की कटाई-तैयारी शुरू हो सकती है जबकि मार्च में इसकी रफ्तार काफी बढ़ जाएगी। कृषि विभाग के अनुसार राजस्थान में इस बार चना का बिजाई क्षेत्र 19.70 लाख हेक्टेयर के करीब रहा जबकि इसका उत्पादन 23 लाख टन होने का अनुमान है। 

सरसों की बात है तो इसके एक अग्रणी व्यापारी एवं मरुधर ट्रेडिंग एजेंसी, जयपुर के प्रबंध निदेशक अनिल चतर ने कहा है कि फरवरी की बारिश से फसल की उपज दर में सुधार होगा और सरसों से तेल की रिकवरी दर बढ़ जाएगी। इसमें 1-2% की वृद्धि हो सकती है।

राजस्थान में सरसों का क्षेत्रफल अबकी बार करीब 37.50 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया, जबकि इसका उत्पादन बढ़कर 62.30 लाख टन पर पहुंचने की उम्मीद है। राष्ट्रीय स्तर पर सरसों के कुल उत्पादन में अकेले राजस्थान का योगदान 45-49% के बीच रहता है।

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नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जगत पाल पिलानिया है ! मैं ई मंडी रेट्स (eMandi Rates) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों को फसलों के ताजा मंडी भाव, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाना है। ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है।

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