सीकर- मूंडरू से महरौली तक अगर आपकी जमीन है तो सावधान! कोटपूतली-किशनगढ़ [Greenfield Expressway] का सीमांकन शुरू हो चुका है और 500 मीटर चौड़े दायरे में आने वाली जमीनों के खसरा नंबर पहले ही जारी हो गए हैं। दिसंबर 2025 से निर्माण शुरू होते ही डेरावाली, मऊ, अरनिया जैसे गांवों के किसानों की पीढ़ियों की कमाई छिन जाएगी। 1,679 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण, 6,906 करोड़ का प्रोजेक्ट और सीधे-सीधे आपके घर-खेत सब 15 फीट ऊंचे हाइवे में जाएंगे।
किन गांवों की जमीन पर सीधा खतरा?
मूंडरू क्षेत्र के डेरावाली, मऊ, अरनिया और महरौली गांवों में अधिकारी पहले ही सीमांकन के निशान लगा चुके हैं। ग्रामीणों की मानें तो कई परिवारों की पूरी जमीन इसकी जद में आ गई है। किसी की कोठी, किसी का मकान – सब 500 मीटर चौड़े कॉरिडोर में आ रहे हैं। 15 फीट ऊंचाई पर बनने वाला ये एक्सप्रेस-वे न सिर्फ खेतों को दो हिस्सों में बांटेगा, बल्कि गांवों की रोजमर्रा की जिंदगी पर भी भारी असर डालेगा।
181 किमी, 6,906 करोड़ और आपकी जमीन
कोटपूतली-किशनगढ़ [Expressway] 181 किलोमीटर लंबा है और इसकी कुल लागत 6,906 करोड़ रुपए तय हुई है। दिल्ली-जयपुर रूट को आसान बनाने वाला ये प्रोजेक्ट खाटूश्यामजी, मकराना और कुचामन को भी जोड़ेगा। लेकिन इसके लिए चाहिए 1,679 हेक्टेयर जमीन। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी रफ्तार में है और निर्माण दिसंबर 2025 से शुरू होने की पुष्टि अधिकारियों ने कर दी है। इसका मतलब साफ है – अब वक्त कम, फैसला जल्दी।
किसान क्यों कर रहे विरोध? उपजाऊ धरती और घर दोनों छिन रहे
किसानों का साफ कहना है कि जमीन सिर्फ जमीन नहीं, उनकी आजीविका का सवाल है। Farmer Protest इसलिए तेज हो रहा है क्योंकि उपजाऊ खेती योग्य भूमि छिनने से खाद्य सुरक्षा पर भी असर पड़ेगा। कई परिवारों को घर से हाथ धोना पड़ सकता है। एक किसान ने बताया कि उनके पास अब तक जमीन का कोई विकल्प नहीं दिखाया गया। सिर्फ खसरा नंबर जारी कर दिए गए, लेकिन मुआवजे का पैमाना और पुनर्वास की योजना अभी तक अधर में लटकी है। ये सवाल जब तक साफ नहीं होते, विरोध और तेज होगा।






