भारतीय किसान यूनियन ( चढूनी ग्रुप ) ने एक बार फिर हरियाणा सरकार को दो टूक कही है। जैसा कि आप जानते हैं पिछले साल सभी किसान संगठनों ने करीब एक वर्ष तक बॉर्डर्स पर धरना दिया था। उस वक्त मुद्दा था काले कानूनों रद्द करवाने का। एक वर्ष तक चली इस लड़ाई के अंत में सरकार को पीछे हटना पड़ा था।
इसी के साथ किसान संगठन 23 फसलों पर मिल रहे एमएसपी (MSP) को रखने का मुद्दा भी रखा गया था। विभिन्न किसान संगठन तब अपनी मांगों को मनवाने में काफी हद तक सफल रहे थे। इस बार मुद्दा है गन्ने की कीमतों में इजाफा करने का।
बीते मंगलवार को हरियाणा के करनाल की अनाज मंडी में हुई भारतीय किसान संघठन (चढूनी ग्रुप) की बैठक में गन्ने की कीमतों में इजाफा करने पर विचार किया गया। किसान संगठनों का मानना है की प्रदेश सरकार हर वर्ष गन्ने की कीमत बढ़ाती है। लेकिन इस वर्ष अब तक गन्ने की कीमत नहीं बढ़ाई गयी है। इसके चलते किसान अपनी फसल को पुरानी कीमतों पर बेचने को मजबूर हैं।
अभी हाल ही में सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक में भी गन्ने की कीमत बढ़ाने को लेकर चर्चा की गई । किसान संगठन का कहना है कि 16 जनवरी 2023 को होने वाली बैठक में गन्ने की कीमतों को बढ़ाने की मांग रखी जाएगी। अगर हरियाणा सरकार गन्ने की कीमत नहीं बढ़ाती है तो 17 जनवरी से किसान अपनी गन्ने की फसलों को मीलों में भेजना बंद कर देंगे।
इसी के साथ यह भी अल्टीमेटम दिया गया कि फिर भी सरकार आगामी 20 जनवरी से पुरे प्रदेश की चीनी मीलों की तालाबंदी की जाएगी।
इन हालातों को देखते हुए सरकार पर काफी दबाव बन गया है। और उम्मीद यह की जा रही है की आगामी बैठक में सरकार गन्ने की कीमतों में इजाफा कर सकती है।
पंचायत ने उठाई ये मांगे
- गन्ने का मूल्य बढ़ाकर 450 रुपए प्रति क्विंटल किया जाये
- गन्ना किसानों को बॉन्ड के अनुसार चीनी दी जाए
- झज्जर जिले में नई शुगर मिल लगाई जाए
- गन्ना उत्पादक किसानों को उन्नत किस्म के बीज मुहैया करवाये जाये







