Kisan Andolan News Update: किसान संगठनों ने MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और अन्य मांगों को लेकर आज 8 दिसंबर (रविवार) को फिर से दिल्ली कूच करने की तैयारी की है। शंभू बॉर्डर पर लंबे समय से डटे किसानों ने इससे पहले शुक्रवार को भी दिल्ली कूच का प्रयास किया था, लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें रोकते हुए आंसू गैस के गोले दागे और बैरिकेडिंग कर दी। इस कार्रवाई में 15 किसान घायल हो गए।
‘मरजीवदास’ किसान मार्च
आज एक बार फिर रविवार को 101 किसानों का एक समूह, जिसे ‘मरजीवदास’ (जीवन का बलिदान करने वाले) नाम दिया गया है, इस आंदोलन का नेतृत्व करेगा। इस समूह में विभिन्न संगठनों के किसान नेता शामिल हैं। किसान संगठनों का कहना है कि यह मार्च पैदल होगा, और उनकी प्रमुख मांगें केंद्र सरकार को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत की जाएंगी।
किसानों की मुख्य मांगें
- एमएसपी पर कानून: किसानों की सबसे बड़ी मांग है कि एमएसपी को कानूनी दर्जा दिया जाए, ताकि उनकी फसलों का उचित मूल्य सुनिश्चित हो सके।
- प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई का विरोध: किसानों का आरोप है कि अंबाला में प्रदर्शनकारियों को टारगेट करने के लिए धारा 163 (पहले धारा 144) लगाई गई है।
- कानून-व्यवस्था पर सवाल: किसानों ने हरियाणा प्रशासन की कार्रवाई को अन्यायपूर्ण बताते हुए कहा कि यह भाजपा सरकार की नीतियों का पर्दाफाश करता है।
संयुक्त किसान मोर्चा का बयान
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि सरकार ने अब तक बातचीत के लिए कोई प्रयास नहीं किया है। उन्होंने कहा कि किसानों ने अपनी मांग का चार्टर शुक्रवार को हरियाणा पुलिस को सौंप दिया था। इसके बाद पुलिस ने कहा था कि उनके चार्टर को केंद्र सरकार के पास भेज दिया जाएगा।
उन्होंने आज मीडिया को दिए एक बयान में कहा कि “हम कहते थे कि भगवंत मान सरकार (पंजाब की) केंद्र सरकार के साथ मिली हुई है। आज जिस तरह से मीडिया को रोका जा रहा है, मुख्यमंत्री और अरविंद केजरीवाल को आगे आकर इस पर सफाई देनी चाहिए। वे (AAP) कहते हैं कि वे किसानों और मजदूरों के साथ हैं, फिर वे मीडिया को क्यों रोक रहे हैं? भगवंत मान सरकार का चेहरा बेनकाब हो गया है। पहले हम केवल केंद्र सरकार के खिलाफ थे, लेकिन अब हमें राज्य सरकार से निपटना है। पंजाब सरकार केंद्र सरकार के कामों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है…”
प्रदर्शन पर मीडियाकर्मियों की रोक
हरियाणा पुलिस ने पंजाब पुलिस प्रमुख को एक पत्र भेजते हुए कहा है कि मीडियाकर्मियों के प्रदर्शन स्थल के पास रहने के कारण कानून-व्यवस्था बनाए रखने में काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए आपसे पुनः अनुरोध है कि आप सभी संबंधित पक्षों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दें कि मीडियाकर्मियों की सुरक्षा तथा उनकी आवश्यकताओं के हित में उन्हें सुरक्षित दूरी (न्यूनतम एक किलोमीटर) पर रोका जाए।’
किसानों का आमरण अनशन जारी
खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन आठवें दिन भी जारी है। किसानों ने बताया कि उनका वजन आठ किलो घट गया है, लेकिन उनका संघर्ष जारी रहेगा।
केंद्र और राज्य सरकार पर सवाल
किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा अपनाए गए दमनकारी उपाय उनकी संवैधानिक अधिकारों का हनन हैं। प्रदर्शनकारी यह भी पूछ रहे हैं कि जब किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर नहीं ले जा रहे थे, तो उन्हें आगे क्यों नहीं बढ़ने दिया गया।
निष्कर्ष– किसानों का यह आंदोलन सरकार और किसानों के बीच एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। ऐसे में एमएसपी और प्रदर्शनकारी किसानों के अधिकारों को लेकर सरकार का रुख क्या होगा, यह देखना बाकी है।