Hanumangarh के Tibbi इलाके में बुधवार शाम वो हुआ जिसकी आशंका पिछले कई हफ्तों से लगाई जा रही थी। Ethanol factory के विरोध में उतरे किसानों ने ट्रैक्टरों से निर्माणाधीन दीवार को ढहा दिया। पुलिस ने लाठीचार्ज किया, लेकिन भीड़ का आकार देखकर पीछे हट गई। नतीजा? आगजनी, तोड़फोड़ और पूरे इलाके में internet shutdown।
वह बुधवार शाम: 4 बजे से अफरा-तफरी शुरू हुई
Rathi Khera गांव के पास Chak 4 RK में यह पूरा घटनाक्रम शाम करीब 4 बजे शुरू हुआ। किसानों ने पहले SDM कार्यालय के सामने एक सभा की। इसमें [Kuldeep Indora] (Sri Ganganagar सांसद), [Abhimanyu Punia] (Sangaria विधायक) और [Balwan Punia] (Bhādra के पूर्व विधायक) जैसे नेता मौजूद थे। किसान संगठनों के नेता हरियाणा और पंजाब से भी आए। सभा के बाद हजारों की संख्या में लोग पैदल ही मुख्य सड़क से फैक्ट्री की तरफ बढ़ने लगे। इस दौरान [Congress] और [CPI-M] नेता [Mangej Chaudhary] भी किसानों के साथ थे।

मोर्चे पर खून-पसीना: जब ट्रैक्टर बन गए हथियार
जैसे ही किसान निर्माणस्थल पर पहुंचे, ट्रैक्टरों को सीधे दीवार से जोड़ दिया गया। बड़ी आसानी से पूरी चारदीवारी ढह गई। पुलिस ने लाठीचार्ज किया। लेकिन किसानों की तादाद ज्यादा थी। भीड़ को कंट्रोल करना मुश्किल होता देख पुलिसकर्मी पीछे हट गए। इसके बाद किसानों ने कई वाहनों को निशाना बनाया। आग लगा दी गई। तोड़फोड़ हुई। यह वो क्षण थे जब law and order पूरी तरह से लड़खड़ा गया।
इंटरनेट बंद, दुकानें बंद: 18 नवंबर से धारा 163 लागू
प्रशासन ने तुरंत एक्शन लिया। Tibbi कस्बे और आसपास के गांवों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गईं। स्कूल और दुकानें भी बंद हैं। यह कोई तात्कालिक फैसला नहीं था। पूरे इलाके में 18 नवंबर से ही [Section 163] लागू थी। एसपी Harishankar ने करीब 500 पुलिसकर्मियों के साथ आधा दर्जन थाना Tibbi में तैनात किए थे। एक ASP और दो DSP मौके पर मौजूद थे। SSB की दो बटालियन पहले से ही निर्माण कार्य जारी रखने के लिए तैनात थीं।
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450 करोड़ का सवाल: एशिया की सबसे बड़ी फैक्ट्री पर क्यों है विवाद?
राठीखेड़ा के पास चक 4 आरके में करीब 450 करोड़ रुपए की लागत से एशिया की सबसे बड़ी ethanol factory का निर्माण हो रहा है। लेकिन किसानों का कहना है कि इससे प्रदूषण बढ़ेगा। सांसद कुलदीप इंदौरा का कहना है कि Indira Gandhi Canal Project का पानी पहले से ही प्रदूषित है। ऐसे में फैक्ट्री से स्थिति और बिगड़ेगी। किसानों ने इस स्थल पर लंबे समय से धरना दे रखा था। लेकिन उन्हें हाल ही में हटाया गया। इसके बाद ही चारदीवारी का काम पूरा हो पाया।
राजनीति गर्माई: किसने क्या कहा?
कांग्रेस ने साफ कहा है कि वह इस मुद्दे पर किसानों के साथ खड़ी है। इंदौरा ने कहा, “जिस सरकार को जनता की भावनाएं समझने के लिए चुना गया, वह सुनवाई नहीं कर रही।” वह इस मामले को लोकसभा में उठाना चाहते हैं लेकिन “बोलने का अवसर नहीं मिल पा रहा”। यह बयान उस राजनीतिक दबाव को दर्शाता है जो इस मुद्दे को केंद्र तक ले जाना चाहता है। विपक्षी दलों ने इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया है।
क्या विकास और किसान के हक आमने-सामने हैं?
Hanumangarh का ये विवाद सिर्फ एक फैक्ट्री का नहीं है। यह विकास मॉडल और किसान अधिकारों के बीच टकराव का प्रतीक है। 450 करोड़ का निवेश एशिया में सबसे बड़ा होगा। लेकिन स्थानीय लोगों के पर्यावरण चिंताएं भी वाजिब हैं। पुलिस ने [preventive measures] लिए लेकिन भीड़ नियंत्रण में नहीं आई। यह सवाल उठाता है कि क्या प्रशासनिक तैयारी पर्याप्त थी?
आगे क्या होगा?
अभी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। फैक्ट्री का काम रुका नहीं है। SSB बटालियन तैनात हैं। किसान भी अपनी मांगों पर अड़े हैं। राजनीतिक दल इसे राज्य और केंद्र स्तर पर उछालने की कोशिश कर रहे हैं। Hanumangarh में शांति बहाली के लिए प्रशासन को किसानों से बातचीत ही एकमात्र रास्ता लगता है। लेकिन 18 नवंबर से लागू Section 163 और internet shutdown दिखाते हैं कि सरकार फिलहाल सख्त रुख अपनाए हुए है।












