बेमौसम बारिश से हरियाणा राजस्थान पंजाब में नरमा/कॉटन को भारी नुकसान

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खेती किसानी समाचार : उत्तर भारत के कपास (Cotton) उत्पादक राज्य हरियाणा पंजाब राजस्थान में इस बार (2021-22) नरमा कपास के उत्पादन के सही आंकड़ों का विश्लेषण उपलब्ध नहीं है. क्योंकि इस बार जहां राजस्थान और हरियाणा में नरमा-कपास की बिजाई का रकबा घटा है वहीं पंजाब में नरमा बिजाई के क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है.

पंजाब में इस बार 3,00,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में नरमा कपास की बिजाई हुई है. वहीँ हरियाणा राज्य में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 6 लाख 88 हजार हेक्टेयर में नरमा कपास की बिजाई हुई है जोकि निर्धारित लक्ष्य से तक़रीबन 6.5% कम है. इसी प्रकार अगर बात करे राजस्थान की तो यहाँ भी सरकारी आंकड़ों के अनुसार 7 लाख हेक्टेयर से अधिक रकबे में नरमें की बिजाई होना बताया गया है. लेकिन इससे पूरी तरह सहमत नहीं हुआ जा सकता, क्योंकि राजस्थान के प्रमुख कपास उत्पादक जिले गंगानगर और हनुमानगढ़ में बिजाई के समय इस बार सिंचाई पानी उपलब्ध नहीं था और ना ही अच्छी बारिश हुई थी. जिसके चलते इस क्षेत्र में नरमा की बिजाई सबसे अधिक प्रभावित हुई थी.

हरियाणा के साथ सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस बार उत्पादन 20 लाख गांठ (170 किलोग्राम) पहुंच सकता है, जोकि पिछले साल की तुलना में लगभग 12% अधिक है. साथ ही नरमा कपास उपज 419 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 500 किलोग्राम तक पहुंच सकती है.

सरकारी आंकड़ों का कहना है कि पिछले साल हरियाणा का कुल उत्पादन 18 लाख 23 हजार 400 गांठ था जो इस बार बढ़कर लगभग 20 लाख 45 हजार गांठ होने का अनुमान है. हालांकि इस बार कम हुई बिजाई रकबे और निरंतर बेमौसम बरसात से कॉटन को हो रहे नुकसान से उत्पादन का यह है लक्ष्य पूरा होना मुश्किल लग रहा है.

केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आकड़ों के मुताबिक इस बार देशभर में कॉटन की बिजाई 88.27 प्रतिशत हो पाई है अर्थात लगभग 12% बिजाई कम हुई है, जिसके चलते कुल उत्पादन पर असर पड़ने की संभावना है.

किसानों को इस बार नरमा का भाव पिछले वर्ष की तुलना में काफी अच्छा मिल रहा है , नरमा- कपास, ग्वार , मुंग , मोठ सहित अन्य प्रमुख फसलों के आज के ताज़ा भाव देखने के लिए यहाँ पर जाएँ . 

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जगत पाल पिलानिया है ! मैं ई मंडी रेट्स (eMandi Rates) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों को फसलों के ताजा मंडी भाव, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाना है। ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है।

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