गेहूं होगा सस्ता: सरकार ने 30 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेचने की घोषणा की

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Wheat Prices: देश में गेहूं की क़ीमतों में जारी रिकॉर्ड तेजी पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने आज बुधवार 25 जनवरी को अपने बफर स्टॉक से 30 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेचने की घोषणा कि। फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) अपने स्टॉक से खुले बाजार में 30 लाख टन गेहूं “Open Market Sale Scheme” के तहत बेचेगी। इससे थोक और रिटेल बाजार में गेहूं और आटा की कीमतों को कम करने में मदद मिलेगी। देश में इस समय गेहूं के आटे की औसत कीमतें बढ़कर करीब 38 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई है ।

देश में गेहूं और आटे की बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए गृह मंत्री श्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह ने आज बैठक की और देश के बफर स्टॉक की स्थिति पर चर्चा की। खाद्य मंत्रालय मुक्त बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत 30 लाख टन गेहूं की खुले बाजार में बिक्री करेगा। ताकि बढ़ती कीमतों पर तत्काल प्रभाव से रोक लग सके, गेहूं को बाजार में उतारने के लिए मंत्रियों की समिति (सीओएम) ने निम्नलिखित विकल्प रखे।

  • ई-नीलामी के तहत एफसीआई क्षेत्र से प्रति नीलामी अधिकतम 3000 मीट्रिक टन प्रति खरीदार, ई-नीलामी के माध्यम से आटा मिलर्स, थोक खरीदारों आदि को गेहूं की पेशकश की जाएगी।
  • ई-नीलामी के बिना राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों को उनकी योजनाओं के लिए भी गेहूं की पेशकश की जाएगी।
  • उपरोक्त चैनलों के अलावा, सरकारी सार्वजनिक उपक्रमों/सहकारिताओं/संघों, केंद्रीय भंडार/एनसीसीएफ/नेफेड आदि को बिना ई-नीलामी के 2350 रुपये/क्विंटल की रियायती दरों पर गेहूं की पेशकश की जाएगी। इस विशेष योजना के तहत बिक्री इस शर्त के अधीन होगी कि खरीदार गेहूं को आटा में परिवर्तित करेगा और अधिकतम खुदरा मूल्य रु. 29.50 प्रति किग्रा.
government announced to sell 30 lakh tonnes of wheat in the open market

सरकार ने मई में गेहूं के निर्यात पर लगाया था प्रतिबंध

घरेलू उत्पादन में मामूली गिरावट और केंद्रीय पूल के लिए एफसीआई की खरीद में कमी के बाद गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। भारत का गेहूं उत्पादन 2021-22 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में गिरकर 106.84 मिलियन टन हो गया था। जबकि इसके पिछले वर्ष में यह 109.59 मिलियन टन था। वहीं, पिछले साल के लगभग 43 मिलियन टन के मुकाबले इस साल गेहूं खरीद गिरकर 19 मिलियन टन रह गई थी।

मैं जगत पाल पिलानिया ! ई मंडी रेट्स का संस्थापक हूँ । ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों को मंडी भाव और खेती किसानी से जुड़ी जानकारियाँ प्रदान कर रहा है।

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