इंटरनेशनल ग्रेन्स कौंसिल (International Grains Council) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार चालू वर्ष के दौरान चना (काबुली सहित) एवं मसूर में वैश्विक कारोबार अपेक्षाकृत सामान्य रहने की संभावना है। दक्षिण एशिया के देशों में इसकी मांग मजबूत रह सकती है। लेकिन यह देखना भी आवश्यक होगा कि इसकी वित्तीय स्थिति ज्यादा खराब न हो।
कौंसिल ने वर्ष 2023 में लगभग 19 लाख टन चना का वैश्विक व्यापार होने का अनुमान लगाया है जो वर्ष 2022 के कारोबार के बराबर ही है। इसी तरह मसूर का आयात-निर्यात भी 40 लाख टन के आसपास स्थित रहने की उम्मीद है।
रिपोर्ट के मुताबिक चालू वर्ष के दौरान दलहनों का कुल वैश्विक कारोबार कुछ बढ़कर 174 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान है जो पिछले साल से 2 प्रतिशत ज्यादा है। इसमें मटर की भागीदारी ज्यादा रह सकती है क्योंकि इसकी मांग मजबूत रहेगी। कनाडा मसूर एवं मटर का सबसे प्रमुख निर्यातक देश है जबकि वहां से काबुली चना का भी निर्यात होता है।
2022-23 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अगस्त-जुलाई) के शुरूआती 32 सप्ताहों के दौरान इसकी लाइसेंस युक्त सुविधाओं के जरिए मटर का कुल निर्यात पिछले सीजन की समान अवधि के मुकाबले करीब 62 प्रतिशत ज्यादा रहा।
कनाडाई ग्रेन कमीशन की रिपोर्ट में यह भी पता चलता है कि इस अवधि में मसूर का निर्यात 59 प्रतिशत उछलकर 9.30 लाख टन पर पहुंच गया। कनाडा से काबुली चना का निर्यात सामान्यत कंटेनरों में होता है और इसका साप्ताहिक आंकड़ा कमीशन के आंकड़ों से ऊपर देखा जा रहा है। वैसे सरकारी एजेंसी-स्टेट्स कैन के आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त 2022 से जनवरी 2023 के दौरान देश से काबुली चना का निर्यात बढ़कर 1.14 लाख टन पर पहुंच गया जो 2021-22 सीजन की समान अवधि के शिपमेंट के दोगने से भी ज्यादा है।
ऑस्ट्रेलिया में मसूर का उत्पादन उछलकर 14 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान है जिससे वैश्विक कारोबार कि दशा और दिशा बदल सकती है। ऑस्ट्रेलिया में मसूर का उत्पादन भी कुछ सुधरकर 3.19 लाख टन पर पहुंचने की संभावना व्यक्त की गई हैं लेकिन देसी चना का उत्पादन लगभग आधा घटकर 5.41 लाख टन पर सिमट जाने का अनुमान लगाया गया है क्योंकि बिजाई क्षेत्र में कमी आई थी।
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