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गेहूं की बुवाई करते समय इन बातों का रखें विशेष ध्यान, फसल उत्पादन और गुणवत्ता में होगी वृद्धि

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Sowing of wheat: नवंबर का महीना शुरू होते ही किसानों ने गेहूं की बुवाई की तैयारियां तेज कर दी हैं। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि 1 से 15 नवंबर का समय गेहूं की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त होता है, क्योंकि इस दौरान तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस रहता है जो अंकुरण के लिए आदर्श है। समय पर बुवाई से फसल का उत्पादन बेहतर होता है, जबकि देरी से बुवाई करने पर फसल के विकास और उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

गेहूं की बुवाई के समय बरतें ये सावधानियां:

नवंबर में गेहूं की बुवाई के लिए किसान रखें इन बातों का ध्यान

  1. मिट्टी का सही प्रकार और परीक्षण
    दोमट मिट्टी को गेहूं के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है। बुवाई से पहले मिट्टी का परीक्षण करवा लेना चाहिए ताकि इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम और जिंक जैसे पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया जा सके।
  2. खेत में नमी का संतुलन
    खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए, लेकिन जलभराव से बचना जरूरी है। अत्यधिक नमी से बीज सड़ सकते हैं और अंकुरण प्रभावित हो सकता है। बुवाई के दौरान खेत में हल्की नमी बनाए रखना आवश्यक है ताकि बीज अंकुरित होने में मदद मिले।
  3. अंकुरण के लिए आदर्श तापमान
    अंकुरण के लिए 20-25 डिग्री सेल्सियस का तापमान आदर्श माना जाता है। बहुत ठंडा मौसम अंकुरण की गति को धीमा कर सकता है, जिससे फसल की वृद्धि प्रभावित होती है।
  4. बीज की गहराई और बीज उपचार
    गेहूं की बुवाई 3-5 सेंटीमीटर की गहराई में होनी चाहिए और सभी बीज समान गहराई पर हों ताकि अंकुरण एक समान हो सके। बुवाई से पहले बीज उपचार करना भी जरूरी है ताकि बीज रोगों से बच सके और अंकुरण बेहतर हो।
  5. मिट्टी का पीएच स्तर
    गेहूं की अच्छी फसल के लिए मिट्टी का पीएच स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। इससे फसल को पोषक तत्व आसानी से मिलते हैं और विकास बेहतर होता है।

विशेषज्ञों की सलाह
कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ डॉ. मुकुल कुमार के अनुसार, मिट्टी का सही प्रकार, नमी, बीज की गुणवत्ता और बुवाई की गहराई पर ध्यान देकर किसान अच्छी फसल प्राप्त कर सकते हैं। जो किसान अब तक बुवाई की तैयारी नहीं कर पाए हैं, उन्हें जल्द से जल्द इन बातों को ध्यान में रखते हुए बुवाई करनी चाहिए।

इस तरह की सावधानियों के साथ की गई गेहूं की बुवाई से फसल का उत्पादन और गुणवत्ता बेहतर हो सकती है।

नोट:- किसान साथियों, इस लेख में दी गई जानकारी सार्वजनिक मीडिया स्रोतों से ली गई है। आपसे अनुरोध है कि खेती बाड़ी से संबंधित किसी भी जानकारी को उपयोग में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

नमस्ते! मैं जगत पाल ई-मंडी रेट्स का संस्थापक, बीते 7 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती-किसानी, मंडी भाव की जानकारी में महारथ हासिल है । यह देश का पहला डिजिटल कृषि न्यूज़ प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है। किसान साथियों ताजा खबरों के लिए आप हमारे साथ जुड़े रहिए। धन्यवाद

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