नई दिल्ली: पंजाब-हरियाणा के साथ कुछ अन्य राज्यों के किसानों ने एक बार फिर किसान आंदोलन के लिए कमर कस ली है। साल 2020 में केंद्र सरकार के द्वारा पास किए गए तीन कृषि कानूनों की वापसी के लिए किए गए किसान आंदोलन (Farmers protest) के ज़ख्म भरे ही नहीं की एक बार फिर किसानों ने सरकार के सामने अपनी डिमांड रख दी है। पिछले किसान आंदोलन में सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा और तीनों क़ानूनों को वापस लेना पड़ा था जिसके बाद आंदोलन खत्म हुआ। ऐसे में अब हर किसी के मन में सवाल उठ रहा है कि अब किसान क्यों आंदोलन कर रहे है? इस बार किसानों की सरकार से क्या मांगें जिनके लिए उन्हें दिल्ली की तरफ कूंच (Delhi Chalo March 2024) करना पड़ रहा है? आइये जाने किसान आंदोलन 2024 के बारे में सब कुछ…
13 फरवरी को दिल्ली के लिए रवाना होंगे किसान
Delhi Chalo Farmers Protest News- हरियाणा-पंजाब समेत कई अन्य राज्यों के किसानों ने कल यानी मंगलवार 13 फरवरी को दिल्ली जाने का ऐलान किया है। किसानों की इस घोषणा के बाद दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। किसान आंदोलन को देखते हुए राजधानी दिल्ली की सीमाओं को बंद किया जा रहा है। सड़कों पर कीलें बिछाई जा रही हैं। सीमेंट के बैरिकेड्स लगवाये जा रहे हैं। इसके अलावा किसानों की दिल्ली में एंट्री रोकने के लिए सीमा पर पुलिसबल तैनात हैं।
दूसरी तरफ किसानों के आंदोलन के देखते हुए पूरी दिल्ली और हरियाणा के कई शहरों, गाज़ीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर धारा 144 लगा दी गई है। कुछ शहरों में अफवाहों को रोकने के लिए इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। पुलिस गांव-गांव जाकर किसानों से इस आंदोलन में शामिल नहीं होने का कह रही है।
इस बार क्या हैं किसानों की मांगें?
साल 2020 में किसानों के आंदोलन की मुख्य वजह केंद्र सरकार के द्वारा पास किए गए तीन कृषि कानून थे, उस दौरान किसानों ने इन क़ानूनों को वापस लेने के लिए आंदोलन किया था। किसानों का यह आंदोलन कई महीने लंबा चला था, अंत में सरकार को किसानों के सामने झुकना पड़ा और बिल वापस लेने पड़े जिसके बाद आंदोलन खत्म हुआ।
Demands of farmers: इस बार भी किसान अपनी कई मांगों को लेकर दिल्ली को घेरने का प्लान बना रहे हैं। किसानों की इस बार मुख्यतः 10 मांगें हैं जिसके लिये किसान यह आंदोलन करने जा रहे है। किसानों की सरकार से जो मुख्य माँगे है वो निम्नलिखित हैं-
1. किसानों की सबसे मुख्य मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानून बनना है।
2. किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग ।
3. किसानों के कृषि ऋण माफ करने की मांग।
4. किसान लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग।
5. भारत को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से बाहर निकाला जाए।
6. कृषि वस्तुओं, दूध उत्पादों, फलों, सब्जियों और मांस पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाया जाए।
7. किसानों और 58 साल से अधिक आयु के कृषि मजदूरों के लिए पेंशन योजना लागू करके 10 हजार रुपए प्रति माह पेंशन की मांग ।
8. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार के लिए सरकार की ओर से स्वयं बीमा प्रीमियम का भुगतान करना, सभी फसलों को योजना का हिस्सा बनाना और नुकसान का आकलन करते समय खेत एकड़ को एक इकाई के रूप में मानकर नुकसान का आकलन करना।
9. भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को उसी तरीके से लागू किया जाना चाहिए और भूमि अधिग्रहण के संबंध में केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को दिए गए निर्देशों को रद्द किया जाना चाहिए।
10. कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन करके कपास सहित सभी फसलों के बीजों की गुणवत्ता में सुधार किया जाए।
16 फरवरी को भारत बंद का आह्वान
अभी तक मिली ताजा जानकारी के मुताबिक़ ऑल इंडिया किसान सभा (All India Kisan Sabha) ने किसानों के इस आंदोलन से फिलहाल दूरी बना रखी है। जबकि संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले 16 फरवरी को राष्ट्रव्यापी भारत बंद का आह्नान किया गया है, जिसमें तमाम किसान और मजदूर पूरे दिन हड़ताल पर रहेंगे। दोपहर 12 बजे से लेकर के शाम 4 बजे तक देश के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर चक्काजाम किया जायेगा।