Shortage of DAP fertilizer: इन दिनों देश के कई राज्यों में डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) खाद की भारी कमी देखने को मिल रही है, जिससे रबी फसलों की बुआई में बाधा आ रही है। किसानों को खाद पाने के लिए लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ रहा है, और कई जगहों पर उन्हें इसे ब्लैक मार्केट से ऊंचे दामों पर खरीदना पड़ रहा है। इस खाद संकट से किसानों की मुश्किलें तो बढ़ ही रही हैं, साथ ही इस मुद्दे पर राजनीतिक माहौल भी गर्म हो गया है।
DAP खाद की कमी के प्रमुख कारण
- आयात पर निर्भरता
भारत में डीएपी खाद का उत्पादन सीमित है और हर साल लगभग 100 लाख टन की जरूरत होती है। इसका एक बड़ा हिस्सा आयात के जरिए पूरा किया जाता है। इस बार आयात में कमी के चलते देश में खाद की मांग को पूरा करना चुनौती बन गया है। - लाल सागर संकट
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अनुसार, लाल सागर क्षेत्र में जारी संकट ने डीएपी के आयात को प्रभावित किया है। नतीजतन, उर्वरक जहाजों को अब केप ऑफ गुड होप के रास्ते से होकर करीब 6,500 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है। इस लंबी यात्रा से खाद की उपलब्धता में देरी हुई है और लागत भी बढ़ी है। - मंत्रालय का हस्तक्षेप और प्रयास
भारत सरकार ने खाद की स्थिर कीमत (50 किलोग्राम बैग के लिए 1,350 रुपये) बनाए रखने का निर्णय लिया है। साथ ही, घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय, रेल मंत्रालय, बंदरगाह प्राधिकरण, राज्य सरकारें और उर्वरक कंपनियां समन्वय के साथ खाद वितरण पर नजर बनाए हुए हैं।
सरकार की भूमिका और उपाय
मंत्रालय का कहना है कि डीएपी और एनपीके जैसे अन्य उर्वरकों का घरेलू उत्पादन सर्वोत्तम स्तर पर जारी है। इसके अलावा, किसानों तक खाद की आपूर्ति समय पर पहुंचाने के लिए रेल, सड़क और बंदरगाहों के माध्यम से परिवहन व्यवस्था को मजबूत किया गया है।
किसानों के लिए सुझाव
हालांकि सरकार खाद की आपूर्ति पर नजर रख रही है, लेकिन किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे जल्दबाजी में ब्लैक मार्केट का सहारा न लें। रबी फसलों की बुआई में इस्तेमाल होने वाली खाद की उचित मात्रा और उपलब्धता को देखते हुए, फसल वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार ही खाद का प्रयोग करें। इसे भी पढ़े – पैदावार बढ़ाने के लिए DAP की बजाय इस खाद का करें इस्तेमाल, किसान हो जायेंगे ‘मालामाल’
निष्कर्ष
डीएपी खाद की कमी मुख्यतः आयात की कठिनाइयों और लाल सागर संकट के कारण उत्पन्न हुई है। सरकार स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रयासरत है, लेकिन किसानों को फिलहाल धैर्य बनाए रखना होगा।