हनुमानगढ़ पहुंचा DAP खाद का रैक, रबी सीजन में किसानों को 35 हजार मैट्रिक टन डीएपी खाद की जरूरत

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हनुमानगढ़ 07 नवंबर 2021: जिले के किसानों के लिए डीएपी खाद ( DAP Fertilizer) को लेकर कुछ राहत प्रदान करने वाली खबर निकल कर आ रही है। जैसा की सभी किसान भाइयों को पता ही है की इस बार देश में छाये डीएपी खाद सकंट के बीच किसान रबी सलोन फसलों की बुवाई नही कर पा रहे है । ऐसे में किसानों को DAP खाद की जगह सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग करने की सलाह कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा दी जा रही है ।

कल यानी शनिवार ०६ नवम्बर को हनुमानगढ़ में DAP Khad का एक रैंक पहुंच गया है । DAP की इस रैक के जरिए हनुमानगढ़ जिले के किसानों को कुल 34000 क्विंटल डीएपी उर्वरक की आपूर्ति हुई है । डीएपी खाद की बाकी की रैक भी जल्द पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है । इस बार नहरी पानी की किल्लत होने से जिले में गेहूं की बिजाई का रकबा काफी कम होने का अनुमान है।

कितनी होती है हनुमानगढ़ जिले में डीएपी की खपत ?

कृषि विभाग के अधिकारियों की मानें तो हनुमानगढ़ जिले में रबी सीजन में कुल 35,000 मीट्रिक टन (mt) डीएपी खाद की मांग रहती है। जिसमें बिजाई के वक्त सबसे अधिक जरूरत पड़ती है। इस वक्त जिले में रबी फसलों की बुवाई चल रही है जिसके लिए किसानों को अधिक खाद चाहिए ।

खाद प्रबंधन को लेकर हनुमानगढ़ जिले में रबी वर्ष 2016-17 में 28700 मेट्रिक टन डीएपी खाद की मांग थी । जो वर्ष 2020 में बढ़कर 34000 टन हो गई है । डीएपी की खपत बढ़ने से भविष्य में भूमि की उर्वरा शक्ति पर विपरीत असर पड़ सकता है । इसे देखते हुए कृषि विभाग के अधिकारी विभाग की ओर से किसानों को सलाह के अनुसार ही डीएपी का उपयोग करने को लेकर कर रहे हैं ।

जिले में लाइसेंसी फर्म एवं सहकारी समितियों द्वारा होगा डीएपी का वितरण

डीएपी की रैक पहुंचने के बाद अब संबंधित लाइसेंसी फर्म एवं सहकारी समितियों (cooperative societies) के माध्यम से किसानों तक इसका वितरण किया जाएगा। किसान को मांग के अनुसार ही खेती में डीएपी खाद का उपयोग करने को लेकर भी कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा समझाइश की जा रही है । कृषि पर्यवेक्षकों को भी इसके लिए ट्रेनिंग दी गई है ।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जगत पाल पिलानिया है ! मैं ई मंडी रेट्स (eMandi Rates) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों को फसलों के ताजा मंडी भाव, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाना है। ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है।

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