Kapas Rate 27 September 2024: स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर बनी रहने के कारण शुक्रवार को लगातार पांचवे दिन गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों (Cotton Price) में मंदा आया। आईसीई कॉटन वायदा बाजार में आज भी गिरावट का रुख जारी है, दिसंबर 2024 वायदा अनुबंध -0.95 सेंट गिरकर 72.07 सेंट पर कारोबार करता नज़र आ रहा है। वहीं एमसीएक्स पर कॉटन कैंडी नवंबर वायदा 540 रुपये टूटकर 57950 रुपये पर कारोबार कर रहा है।
गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव 50 रुपये कमजोर होकर दाम 58,700 से 59,1500 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए। पिछले चार दिनों में कॉटन की कीमतों में 850 रुपये प्रति कैंडी का मंदा आ चुका है।
पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव कमजोर होकर 5,820 से 5825 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव नरम होकर 5710 से 5730 रुपये प्रति मन बोले गए।
ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव घटकर 5425 से 5900 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव घटकर 57,400 से 57,600 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।
देशभर की मंडियों में कपास की आवक 16,100 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई। स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर बनी रहने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में लगातार पाँचवे दिन मंदा आया है। व्यापारियों के अनुसार कई राज्यों में नई कपास की आवक शुरू हो गई है, अत-नई फसल को देखते हुए स्पिनिंग मिलें कॉटन की खरीद सीमित मात्रा में ही कर रही है, इसलिए कीमतों पर दबाव बना है।
जानकारों के अनुसार पिछले दो सीजन में व्यापारियों के साथ ही स्टॉकिस्ट एवं मिलर्स को नुकसान हुआ है इसलिए नए सीजन में मिलें कॉटन की खरीद में जल्दबाजी नहीं कर रही। हालांकि चालू सीजन में कपास की बुआई में कमी आई, जिस कारण उत्पादन अनुमान तो घटने की आशंका है, लेकिन अगले महीने आवकों में बढ़ोतरी होगी तथा आगामी महीनों के सौदे नीचे दाम के हो रहे हैं। इसलिए कॉटन की कीमतों में और भी नरमी आने का अनुमान है।
हरियाणा एवं राजस्थान के साथ ही मध्य प्रदेश की मंडियों में नई कपास की आवक शुरू हो गई है तथा मौसम अनुकूल रहा तो पंजाब की मंडियों में नई फसल की आवक आगामी दिनों में बनेगी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार 13 सितंबर तक कपास की बुआई 9.06 फीसदी घटकर 112.48 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 123.69 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।