नई दिल्ली, 20 जनवरी (कमोडिटीज कंट्रोल) पहली अक्टूबर 2021 से शुरू हुए चालू फसल सीजन में कॉटन का उत्पादन (Cotton production) अनुमान कम है, साथ ही नई फसल की आवकों के समय बकाया स्टॉक भी पिछले साल की तुलना में कम था। अत: घरेलू बाजार में कॉटन की बैलेंश सीट टाइट होने के कारण कीमतें लगातार तेज हो रही हैं।
नागपुर लाईन में 30एमएम किस्म की कॉटन का भाव बढ़कर गुरूवार को रिकार्ड 79,000 से 79,500 रुपये और 29.5एमएम का भाव 78,000 से 78,500 रुपये तथा 29 एमएम किस्म की कॉटन के दाम 77,300 से 77,700 रुपये प्रति कैंडी हो गए।
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उधर आईसीई आईसीई कॉटन वायदा की कीमतों में बुधवार को भी तेजी दर्ज की गई थी। आईसीई कॉटन के मार्च वायदा अनुबंध में 287 प्वाइंट की तेजी आकर भाव 123.95 सेंट पर बंद हुए। मई वायदा अनुबंध में 247 प्वांइट की तेजी आकर भाव 120.45 सेंट हो गए, जबकि दिसंबर वायदा अनुबंध में दाम 134 प्वांइट तेज होकर भाव 99.18 सेंट हो गए।
नॉर्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि भारत कॉटन का बड़ा उत्पादक देश होने के साथ ही यहां खपत भी ज्यादा होती है, जबकि चालू सीजन में प्रतिकूल मौसम के साथ ही पिंक बावलर्म की मार फसल पर पड़ी है। ऐसे में कॉटन का उत्पादन तो कम होने का अनुमान है ही, साथ ही पहली अक्टूबर 2021 को नई फसल की आवकों के समय बकाया स्टॉक भी पिछले साल की तुलना में कम था। जिससे चालू सीजन में कॉटन की कुल उपलब्धता पिछले साल की तुलना में कम है, जबकि खपत ज्यादा होने का अनुमान है। अत: देश में कॉटन की बैलेंश सीट टाइट है। इसीलिए कीमतों में तेजी बनी हुई है।
गुजरात के कॉटन कारोबारी रामलाल भाटिया ने बताया कि हाल ही में कॉटन की कीमतों में आई तेजी से स्पिनिंग मिलों का मुनाफा जरुर कम हुआ है, लेकिन मिलें अभी भी घाटे में नहीं है। उन्होंने बताया कि मिलों के पास 55 से 60 दिनों की खपत की कॉटन है, अत: मिलों के पास पहले नीचे भाव की खरीदी हुई कॉटन का स्टॉक भी है। उन्होंने बताया कि कॉटन का उत्पादन अनुमान कम है, साथ ही बकाया स्टॉक भी कम था। इसलिए चालू सीजन में कॉटन का आयात बढ़ेगा, जबकि विदेशी बाजार में कीमतें तेज होने के कारण आयात भी महंगा है। ऐसे में हाजिर बाजार में अभी ज्यादा मंदे की उम्मीद तो नहीं है, लेकिन मौजूदा कीमतों में 2,000 से 2,500 रुपये प्रति कैंडी की तेजी आने के बाद दाम रुक सकते है।
मध्य प्रदेश के कॉटन कारोबारी के अनुसार चालू सीजन में प्रतिकूल मौसम की मार फसल पर पड़ी है, जिससे उत्पादकता के साथ ही क्वालिटी को भारी नुकसान हुआ है। अत: घरेलू मंडियों में कपास की जो आवक हो रही है, उसकी क्वालिटी काफी हल्की है। ऐसे में मिलों की बढ़िया क्वालिटी में मांग बराबर बनी हुई है।
भाटिया के अनुसार गुजरात में कॉटन की कीमतें अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा रहती है, लेकिन क्वालिटी हल्की होने के कारण चालू सीजन में महाराष्ट्र की नागपुर लाईन की कॉटन सबसे महंगी बिक रही है। उन्होंने बताया कि घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतें आईसीई कॉटन वायदा के भाव को फॉलों कर रही है, तथा आईसीई कॉटन वायदा में दाम तेज हैं। इसलिए हाजिर बाजार में कीमतें बढ़ रही है।
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उद्योग ने कॉटन के आरंभिक उत्पादन अनुमान में 12 लाख गांठ की कटौती की है, जानकारों के अनुसार उत्पादन अनुमान इससे भी कम होने की आशंका है। इसलिए घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में ज्यादा मंदे की उम्मीद अभी नहीं है। चालू सीजन में पहली अक्टूबर से अभी तक कॉटन की कुल आवक कम हुई है, तथा स्टॉकिस्टों की सक्रियता से फसल की आवक के समय ही दाम तेज हो गए थे, इसलिए बड़ी मिलों के पास भी बकाया स्टॉक कम है। मिलों के पास इस समय केवल 55 से 60 दिनों की खपत की कॉटन ही है, जबकि पिछले साल इस समय तक मिलें तीन महीने से ज्यादा की खपत की रुई खरीद चुकी थी। चालू सीजन में कॉटन की घरेलू खपत बढ़ने का अनुमान है, इसलिए आयात पर निर्भरता बढ़ेगी।
Cotton Association of India, सीएआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2021 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2021-22 में देश में कॉटन का उत्पादन घटकर 348.13 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो ही होने का अनुमान है, जबकि उद्योग ने आरंभ में 360.13 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान जारी किया था।
न्यूज़ स्त्रोत : http://www.commoditiescontrol.com








