साप्ताहिक तेजी मंदी 31 जुलाई 2023: बीते सप्ताह चना, मटर, मसूर, तुवर और उड़द का बाजार भाव और तेजी-मंदी की विस्तृत जानकारी ई-मंडी रेट्स के इस आर्टिकल में प्रकाशित की जा रही, ताकि आप इस विश्लेषण को पढ़ कर जान सके कि आने वाले दिनों में बाजार का रूख क्या कुछ रह सकता है ।
चना सप्ताहिक रिपोर्ट 31 जुलाई
पिछला सप्ताह सुरुवात सोमवार दिल्ली राजस्थान लाइन नया 5250 रुपये पर खुला था और शनिवार शाम चना 5400/25 रुपये पर बंद हुआ। बीते सप्ताह के दौरान चना दाल बेसन में मांग बनी रहने से +175 रुपये प्रति क्विंटल की मजबूत दर्ज की गई।
नाफेड टैंडर में कारोबारियों द्वारा बढ़ चढ़कर भागीदारी से मजबूती नाफेड ने भी चना टेंडर एक योग्य भाव पर पास करने से सेंटीमेंट मजबूत। मंडियों में चना कम और डंक वाले माल आने से अधिकतर कारोबारी नाफेड टैंडर से चना खरीदी कर रहे।
दिल्ली चना का जो पहले बेस 5000 बना था वह अब 5300/5350 पर बनता नजर आ रहा यानी की अब इसके निचे जाने की संभावना कम। चना की सबसे अधिक सितम्बर-नवंबर तक होती है। इसलिए आने वाले समय में मांग भी बढ़ने की उम्मीद है।
नाफेड दवारा अब तक 2022 स्टॉक में से 2.09 लाख टन चना बिक्री होने का अनुमान है। अगले 4 महीने चूँकि त्योहारी सीजन है तो लगभग 20-25 लाख टन चना की मांग का आसानी से अनुमान। मंडियों में सुस्त आवक को देखते हुए इस मांग की पूर्ति नाफेड की करनी होगी। यानि की इस मांग की पूर्ति के लिए प्रति माह 6-6.5 लाख टन कम से कम चना लगेगा।
अब प्रश्न उठता है की क्या नाफेड दवारा चना की बढ़ती मांग की पूर्ति हो सकेगी? चना का फंडामेंटल धीरे धीरे मजबूती की तरफ बनता नजर आ रहा है। दिल्ली चना (राजस्थान) को 5300 का मजबूत सपोर्ट; जबकि 5800-5825 पर अगला रेजिस्टेंस।
काबुली चना सप्ताहिक रिपोर्ट 31 जुलाई
पिछला सप्ताह सुरुवात सोमवार इंदौर काबुली (40/42)14900 रुपये पर खुला था और शनिवार शाम (40/42) 14900 रुपये पर बंद हुआ। बीते सप्ताह के दौरान काबुली चना मे मांग सिमित रहने से मिलाजुला रूख रहा।
सुस्त आवक और बेहतर मांग के कारण काबुली में सुधार में सप्लाई डिमांड में बड़ा अंतर होने से काबुली का फंडामेंटल मजबूत काबुली चना की आवक प्रमुख मंडियों में काफी सुस्त है। आने वाले 4 महीनों के दौरान काबुली की घरेलू मांग में इजाफा होगा क्योंकि त्योहारी सीजन लगते हैं। काबुली की सर्वाधिक खपत होटल, रेस्टोरेंट ढाबे के साथ शादियों में अधिक होता है।
काबुली में निर्यात मांग फिलहाल औसत है, लेकिन यह भी जल्द रफ़्तार पकड़ने की उम्मीद। काबुली चना की घरेलु खपत मांग औसतन प्रति माह 20000 टन के आसपास रहता है और यह शादियों के सीजन में बढ़ता भी है।
काबुली चना का सप्लाई डिमांड में बड़ा अंतर है क्योंकि घरेलु फसल अब अगले वर्ष फरवरी में ही आएगी। काबुली के मजबूत फंडामेंटल को देखते हुए इस वर्ष भाव में मजबूती जारी रहने की उम्मीद।
तुवर सप्ताहिक रिपोर्ट 31 जुलाई
पिछला सप्ताह सुरुवात सोमवार अकोला तुुवर नयी मारूति 10350 रुपये पर खुला था ओर शनिवार शाम 10650 रुपये पर बंद हुआ। तुवर बाजार सप्ताह के दौरान 300 रुपये प्रति क्विंटल मजबूत रहा ।
महाराष्ट्र कर्नाटक में तुवर उत्पादक इलाकों में बारिश से बोआई में विलम्ब और कुछ नुकसान की आशंका से मजबूती इस बीच अफ्रीका से भी कम भाव में बिकवाली रुकने से तुवर बाजार का सेंटीमेंट मजबूत होता हुआ दिखा।
नाफेड पुराने देशी/इम्पोर्टेड तुवर बेच रही लेकिन गति धीमी है। बोआई की जानकारी महाराष्ट्र में बोआई 6% और कर्नाटक में 32% कमजोर 20-26 जुलाई के दौरान महाराष्ट्र कर्नाटक में बारिश से आंशिक नुकसान की रिपोर्ट कर्नाटक में अभी तक बोआई भी पूरी नहीं हो सकी है।
खासकर गुलबर्गा जिले में अफ्रीका तुवर की जानकारी 28 जुलाई को IPGA द्वारा आयोजित वेबिनार में बाजार के जानकार अफ्रीका तुवर निर्यात में थोड़ी गिरावट का अनुमान लगाया है।
जयेश पटेल-बजरंग इंटरनेशनल ग्रुप का अनुमान है की इस वर्ष तुवर निर्यात 8% घटकर 6.30 लाख टन रह सकता है।
सप्लाई डिमांड यदि घरेलु अफ्रीका और वर्मा स्टॉक का टोटल करें तो यह काम चलाऊ है। देशी तुवर फसल आने में 5 माह का समय और सप्लाई डिमांड लगभग लगभग बराबर है।
अगले 5 माह के लिए घरेलू खपत के लिए लगभग 14-15 लाख टन तुवर की जरूरत पड़ेगी। तुवर बाजार का गणित देश में तुवर पर स्टॉक लिमिट है तो नियमों का कड़ाई से पालन करें चूंकि इम्पोर्टर्स को आयात कर एक माह में माल बेचना है तो अफ्रीका तुवर आने पर बिकवाली अच्छी रहने की उम्मीद।
तुवर बाजार अब इस बात पर निर्भर करेगा की अफ्रीका से कितनी तेजी से भारत तुवर आयात करेगा। देश में तुवर की आवक कम है। और यदि अफ्रीका से तुअर आयात की रफ़्तार धीमी रही तो बाजार में मजबूती से इंकार नहीं। सरकारी नियमों पर पालन करते हुए। तुवर में काम करने में हर्ज नहीं।
मटर सप्ताहिक रिपोर्ट 31 जुलाई
पिछले सप्ताह सुरुवात सोमवार कानपुर मटर-4600/4700 रुपये पर खुला था ओर शनिवार शाम कानपुर मटर 4700/4800 रुपये पर बंद हुआ, बीते सप्ताह के दौरान मटर मे मांग बनी रहने से +100 रूपए प्रति कुंटल की मजबूत दर्ज की गई।
मटर के दाम में मजबूती का माहौल दर्ज किया जा रहा है जुलाई का महीना मटर के लिए अच्छा रहा और भाव में 500-600 रुपये की मजबूती रही।
मटर में धीरे धीरे मांग और भाव रफ़्तार पकड़ रही है। मटर की चाल धीरे धीरे मजबूती पकड़ रही, जो अभी आगे भी जारी रह सकती है।
जानकारों के अनुसार हरा और सफ़ेद मटर का स्टॉक अब काफी सिमित और मजबूत हाथों में है। मटर की फसल अभी आने में काफी समय है और यह अब अगले साल जनवरी/फरवरी में शुरू होगी।
जानकारों के अनुसार सितम्बर से मटर की मांग और भाव में धीरे धीरे मजबूती की संभावना है। आने वाले महीनों में काफी त्यौहार होने वाले है जिससे मांग में इजाफा देखने को मिल सकता है।
मसूर सप्ताहिक रिपोर्ट 31 जुलाई
पिछला सप्ताह सुरुवात सोमवार कटनी मसूर 6050 रुपये पर खुला था ओर शनिवार 6100 रुपये पर बंद हुआ बीते सप्ताह के दौरान मसूर व मसूर दाल मे मांग बनी रहने से +50 रूपये प्रति कुंटल की मजबूत दर्ज की गई। मसूर की मांग और भाव में धीरे धीरे सुधार नजर आ रहा है।
देशी मसूर की मंडियों में कमजोर आवक से भी भाव में सुधार इसबीच विदेशों से भी कम भाव पर बिकवाली रुकने से सेंटीमेंट मजबूत।
कनाडा के प्रमुख मसूर उत्पादक इलाके में सूखे के कारण उत्पादन को लेकर चिंता। हालांकि ऑस्ट्रेलिया से अच्छी खबर है और उत्पादन बढ़ने की संभावना है।
तुवर दाल के ऊंचे दाम के कारण मसूर व मसूर दाल की खपत बढ़ने की संभावना है। जानकारों के अनुसार ढाबे और होटलों में तुवर दाल के विकल्प के रूप में मसूर दाल का चलन बढ़ रहा है।
कनाडा में मसूर में यदि बड़ी गिरावट होती है तो भारत की ऑस्ट्रेलिया पर निर्भरता बढ़ेगी। स्टेटिस्टिक कनाडा के अनुसार कनाडा में मसूर का पुराना स्टॉक कमजोर है। कुल मिलाकर वर्तमान भाव में मसूर में जोखिम कम और भाव धीरे धीरे मजबूती की तरफ अग्रसर होने की उम्मीद। कटनी मसूर 6125 के ऊपर निकलने पर भाव में अच्छी मजबूती की संभावना।
उड़द सप्ताहिक रिपोर्ट 31 जुलाई
पिछले सप्ताह सुरुवात सोमवार चेन्नई एसक्यू 8350 रुपये पर खुला था ओर शनिवार शाम एसक्यू 8500 रुपये पर बंद हुआ बीते सप्ताह के दौरान उडद मे मांग बनी रहने से +150 रुपए प्रति कुंटल की मजबूत दर्ज की गई, उड़द बाजार सप्ताह के दौरान हलकी मजबूती दर्ज की गई।
बर्मा से कम भाव में बिकवाली रुकने से बाजार को सपोर्ट मिला। इस बीच कमजोर घरेलू खरीफ बोआई से भी सेंटीमेंट में मजबूती। हालांकि बर्मा में काफी उड़द स्टॉक मौजूद होने से अनिश्चितता का भी माहौल है।
बर्मा के कारोबारियों की नजर भारत में उड़द की बोआई और मौसम पर लेकिन फिलहाल घरेलु उड़द की बोआई कमजोर जरूर है लेकिन मौसम अनुकूल है।
बोआई की जानकारी खरीफ सीजन में मध्य प्रदेश में सबसे अधिक उड़द बोआई की जाती है इस सीजन, झाँसी लाइन में मूंगफली धान (बासमती) की बोआई बढ़ी है।
स्थानीय किसानों के अनुसार पिछले 4 वर्षों से अक्टूबर में बारिश से उड़द की फसल ख़राब हो रही। मूंगफली उपज अच्छी रहती है इसलिए मूंगफली की बिजाई बढ़ी है।
महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में मॉनसून में देरी के कारण बोआई काफी कम हो पाई, राजस्थान में उड़द की बोआई और फसल अच्छी है और मौसम अभी तक अनुकूल चेन्नई में उड़द की सप्लाई फिलहाल सिमित बताई जा रही है।
अगस्त में उड़द का आयात अगर अच्छा नहीं हुआ तो बाजार में मजबूती। हालांकि बर्मा में उड़द का बड़ा स्टॉक मौजूद जो बड़ी तेजी पर लगाम रख सकता है। फिलहाल उड़द बाजार घरेलु फसल की स्थिति पर काफी निर्भर करेगा। चेन्नई उड़द को 8250 पर मजबूत सपोर्ट; जबकि 8850 पर रेजिस्टेंस।
डिस्क्लेमर:
Pulses Future Price Report: कृपया व्यापार अपने स्वयं के विवेक से करें। हमारा उद्देश किसानों तक केवल जानकारी पहुँचाना है। किसी भी प्रकार के नफे या नुकसान (nafa nuksan) की हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।