Ethanol Tractor Brazil- जब पूरी दुनिया खेती में fossil fuel के बढ़ते खर्च और प्रदूषण से जूझ रही है, तो ब्राज़ील में एक ऐसा प्रयोग शुरू हुआ है जो कृषि क्षेत्र के लिए बड़ी उम्मीद बनकर उभरा है। दरअसल Brazil से एक ताज़ा खबर निकल कर सामने आई है, जहां CNH ब्रांड केस IH ने एथेनॉल से चलने वाले ट्रैक्टर (Ethanol Tractor) के फील्ड टेस्ट शुरू कर दिए हैं। दुनिया के सबसे बड़े चीनी और बायोएनर्जी प्रोड्यूसर्स में से एक साओ मार्टिन्हो के साथ पार्टनरशिप में यह टेस्ट साफ दिखाता है कि कृषि का भविष्य अब रिन्यूएबल एनर्जी की ओर बढ़ रहा है।
पार्टनरशिप में क्या है खास?
Sao Martinho के साथ यह पार्टनरशिप केवल एक ट्रैक्टर का टेस्ट नहीं, बल्कि पूरी खेती प्रणाली को बदलने की दिशा में एक ठोस कदम है।प्राडोपोलिस (SP) में पहली बार Puma 230 ट्रैक्टर, ऑस्टॉफ्ट 9000 सीरीज़ के गन्ना हार्वेस्टर के साथ मिलकर काम कर रहा है। दोनों ही मशीनें एथेनॉल से चलती हैं, जो केस IH के कृषि डीकार्बोनाइज़ेशन प्रोजेक्ट का हिस्सा है।
लैटिन अमेरिका के लिए केस IH के मार्केटिंग और कम्युनिकेशन डायरेक्टर लिएंड्रो कोंडे का कहना है कि इस ट्रैक्टर को पिछले एग्री शो में दिखाया गया था और तब से यह 100 घंटे से ज़्यादा बेंच टेस्ट से गुज़र चुका है। उनके मुताबिक, “अब यह हार्वेस्टर के साथ खेत में काम करता है, जिसके बहुत अच्छे नतीजे मिले हैं।” यह बात बताती है कि यह प्रोजेक्ट अब लैब से निकलकर असली खेतों में अपनी क्षमता साबित कर रहा है।
इंजन की ताकत और टेक्नोलॉजी
Puma 230 ट्रैक्टर में FPT इंडस्ट्रियल का N67 ओटो साइकिल इंजन लगा है, जिसकी नॉमिनल पावर 234hp है। यह टेक्नोलॉजी ऑटोमोबाइल सेक्टर में इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी जैसी ही है। यानी वही तकनीक जो आपकी कार को चलाती है, वही अब ट्रैक्टर को भी चलाएगी।
दिलचस्प बात यह है कि यह इंजन न सिर्फ एमिशन को कम करता है, बल्कि ऑपरेशन के दौरान कम शोर भी पैदा करता है। आमतौर पर ट्रैक्टरों की आवाज़ से परेशान होने वाले किसानों के लिए यह एक बड़ा फायदा हो सकता है। Low emission farming की दिशा में यह एक ठोस कदम है।
एथेनॉल से क्यों है बड़ा फायदा?
भारत और ब्राज़ील जैसे देशों में गन्ना एथेनॉल का बड़ा स्रोत है। जब खुद की फसल से एथेनॉल बनाकर उसी में मशीनें चलाई जाएं, तो यह एक सर्कुलर इकोनॉमी बनाता है। Biofuel technology के जरिए किसान न सिर्फ अपने खर्च कम करेंगे, बल्कि renewable energy farming को बढ़ावा भी देंगे।
FPT इंडस्ट्रियल समझता है कि लैटिन अमेरिका में डीकार्बोनाइज़ेशन का सॉल्यूशन उन टेक्नोलॉजी से शुरू होता है जो इस इलाके के बायोफ्यूल में बड़े पोटेंशियल के लिए सही हैं। केस IH के साथ पार्टनरशिप में डेवलप की गई एथेनॉल इंजन टेक्नोलॉजी, कॉस्ट कम करती है और मशीन की एफिशिएंसी और अवेलेबिलिटी बनाए रखती है, जो TCO (टोटल कॉस्ट ऑफ ऑनरशिप) कैलकुलेशन में ज़रूरी हैं।

टेस्टिंग से आगे की रणनीति
फिलहाल यह ट्रैक्टर और हार्वेस्टर गन्ना काटने के काम में जुटे हैं। लेकिन इससे कहीं आगे की योजना है। फसल का समय खत्म होने के बाद, Puma 230 को दूसरे कामों जैसे मिट्टी तैयार करना और पौधे लगाना में भी टेस्ट किया जाएगा।
अगले चरण में मशीन को कॉर्न एथेनॉल के प्रोडक्शन में भी टेस्ट किया जाएगा। उम्मीद है कि इसके रिज़ल्ट इस टेक्नोलॉजी को दूसरे प्रोडक्ट लाइन जैसे ग्रेन हार्वेस्टर और स्प्रेयर तक बढ़ाने में मदद करेंगे। यानी यह सिर्फ गन्ने तक सीमित नहीं रहेगा।
क्या इससे भारत को मिल सकता है रास्ता?
भारत का कृषि क्षेत्र भी एथेनॉल प्रोडक्शन में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। गन्ना किसानों के लिए यह तकनीक तभी कारगर होगी जब यह सस्ती और मज़बूत हो। Case IH की यह पहल दिखाती है कि sustainable agriculture के लिए रिन्यूएबल फ्यूल कोई सपना नहीं, बल्कि हकीकत बन सकता है।
लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या भारत के ट्रैक्टर मैन्युफैक्चरर्स इस तरह की टेक्नोलॉजी को अपनाने की हिम्मत दिखाएंगे? ब्राज़ील में तो बड़े प्रोड्यूसर साओ मार्टिन्हो जैसे पार्टनर मौजूद हैं, जो अपने खेतों में इसे टेस्ट करने को तैयार हैं। भारत में भी अगर सरकार और प्राइवेट सेक्टर मिलकर काम करें, तो यह संभव है।
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