हिमाचल प्रदेश किसान समाचार : इस बार प्रदेश में आलुओं की बम्पर पैदावार (Potato Production) और दामों (Rates) में बढ़ोतरी के चलते किसान काफी खुश नज़र आ रहे है। जी हाँ लाहौल घाटी (valley) के आलू हॉटकेक्स (Hotcakes) की तरह बिक रहे हैं। इससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिल रहा है। अबकी बार यहाँ आलू की पैदावार पिछले वर्ष की तुलना में लगभग दोगुनी है।
भारत-चीन सीमा के नजदीक स्थित लाहौल घाटी में 1 साल में एक ही फसल की पैदावार प्राप्त की जा सकती है और वो भी हिमालय पर जमी बर्फ के पिघलने से बनी जलधाराओं पर निर्भर करती है। लाहौल घाटी में इस साल की आलू फसल की कटाई कि जा चुकी है और बाजार में जाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
लाहौल घाटी से आलू फसल का सबसे बड़ा हिस्सा देश के विभिन्न हिस्सों जैसे पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और उत्तर-पूर्वी राज्यों के बाजारों में बिकने को जाता है, जहां इस आलू का उपयोग मुख्य रूप से आलू फसलों के बीज के रूप में होता है।
आलू दाम में इजाफे से किसान खुश
मैककेन फूड्स प्राइवेट लिमिटेड , हाइफुन फ्रोजन फूड्स और बालाजी फूड्स भी ठेके पर खेती को बढ़ावा दे रही हैं। इस बार यानि 2020 में चिप्स के लिए सबसे उम्दा किस्म लाहौल की ‘संताना’ का 50 किलोग्राम के एक बैग का मूल्य (Mandi Bhav ) 1,200 से 1,300 रुपये की कीमत पर बिक रहा है, जबकि इसी किस्म की कीमत पिछले वर्ष यानि 2019 में 1,000 रुपये थी।
उत्पादन
हिमाचल प्रदेश राज्य के कृषि विभाग (Department Of Agriculture Himachal Pradesh) के अनुमान के मुताबिक़ , लाहौल घाटी में हर साल संताना किस्म के अलावा तकरीबन 750 हेक्टेयर में ‘कुफरी चंद्रमुखी’ और ‘कुफरी ज्योति’ (Kufri Jyoti) किस्मों के लगभग 35,000-40,000 बैग (50 किलो ) की पैदावार की जाती है। आलुओं के अलावा लाहौल-स्पीति घाटी औषधीय पौधों, सैकड़ों जड़ी-बूटियों और हींग, अकुथ, काला जीरा, केसर जैसे कई मसालों का भी एक बड़ा उत्पादक है।
पीएम नरेंद्र मोदी ऑल वेदर रोड लिंक के उद्घाटन किया जा चुका है इस रोड से मनाली और लाहौल घाटी के बीच फसल उत्पादक किसानों को अपनी फसलों जैसे फूलगोभी, आलू और मटर को जल्दी बाजारों में जा सकेगा जिससे फसलें खरब नही होगी और किसानों को अच्छे भाव मिल सकेंगे .
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