नई दिल्ली: जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) सरसों के बाद अब जर्मन कंपनी बायर एजी (Bayer AG) के जीएम कपास (GM Cotton) की खेती को भी मंजूरी मिलने की उम्मीद है। बायोटेक नियामक जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (जीईएसी) इसके लिए पर्यावरणीय अनुमति (एनवायरनमेंटल रिलीज) देने की तैयारी कर रही है।
इससे किसान हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट स्प्रे कर सकेंगे। खरपतवार नियंत्रित करने के लिए इसका स्प्रे सिर्फ जीएम कपास की फसल पर ही किया जा सकेगा।
जीईएसी ने 27 जुलाई की बैठक में जैव प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिक संजय कुमार मिश्रा के सामने विशेषज्ञ उप-कमेटी गठित की थी। यह कमेटी महयो प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई के आवेदन की समीक्षा के लिए बनी थी। जीईएसी की अगली बैठक में समीक्षा रिपोर्ट रखी जाएगी।
गौरतलब है की हाल ही में दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर डॉ. दीपक पेंटल द्वारा विकसित जीएम सरसों (GM Mustard) की किस्म धारा मस्टर्ड हाइब्रिड -11 (डीएमएच-11) किस्म के लिए यह मंजूरी दी गई है।
क्या है जीईएसी
(GEAC- Genetic Engineering Approval Committee) जीईएसी भारत की टॉप बायोटेक नियामक एजेंसी है। जीईएसी पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक निकाय है। यह निकाय जीएम उत्पादों का परीक्षण और व्यावसायीकरण के लिए मूल्यांकन करता है।