चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बुधवार को प्रदेश के किसानों को साफ संदेश दिया- अगर फसल बर्बाद होती है, तो सरकार खाते में पैसा डालने की गारंटी देती है। उन्होंने अगस्त–सितंबर की भारी बारिश में बर्बाद हुई फसलों के लिए 53,821 किसानों को 116 करोड़ 15 लाख रुपये की मुआवजा राशि जारी की। साथ ही यह भी वादा किया कि अगले एक हफ्ते में यह रकम किसानों के बैंक खातों में पहुंच जाएगी।
इस प्रेस वार्ता में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा भी सीएम के साथ मौजूद थे। सिविल सचिवालय में मीडिया से बात करते हुए सैनी ने सिर्फ मुआवजे का ऐलान ही नहीं किया, बल्कि पूरे सिस्टम की कार्यशैली, पुराने राजनीतिक दौर की लापरवाही और अपनी सरकार की सख्ती को भी खुलकर सामने रखा।
कौन-सी फसल का कितना मुआवजा मिलेगा ?
फसलों के हिसाब से बंटी यह राशि सीधे बताती है कि किसे कितना नुकसान हुआ। बाजरे की फसल के लिए सबसे ज्यादा 35 करोड़ 29 लाख रुपये, कपास के लिए 27 करोड़ 43 लाख रुपये, धान के लिए 22 करोड़ 91 लाख रुपये और ग्वार के लिए 14 करोड़ 10 लाख रुपये की राशि तय की गई है।
लेकिन सवाल यह है कि इतने बड़े फैसले के लिए कितना वक्त लगा? सीएम सैनी ने खुद जवाब दिया- बारिश के बाद उन्होंने खुद बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा किया। 15 सितंबर तक e-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला गया और किसानों से कहा कि वो फसल खराबे की जानकारी पोर्टल पर दर्ज कराएं। अब डेढ़ महीने बाद रकम जारी हो रही है।
तीन जिलों को सबसे ज्यादा राहत
प्रदेश के तीन जिलों में बारिश ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई थी। इनमें चरखी दादरी को सर्वाधिक 23 करोड़ 55 लाख रुपये, हिसार को 17 करोड़ 82 लाख रुपये और भिवानी को 12 करोड़ 15 लाख रुपये मिलेंगे। यह राशि सिर्फ फसलों का नुकसान भरपाई है। इससे पहले सरकार पशुधन हानि, मकान क्षति और अन्य वस्तुओं के नुकसान के लिए 4 करोड़ 72 लाख रुपये भी जारी कर चुकी है।
एक और अहम बात- खरीफ सीजन-2025 में हुए नुकसान के लिए क्षतिपूर्ति पोर्टल पर 5 लाख 29 हजार 199 किसानों ने 31 लाख एकड़ क्षेत्र का पंजीकरण करवाया था। लेकिन जब सत्यापन हुआ तो पाया गया कि सिर्फ 53,821 किसानों का 1 लाख 20 हजार 380 एकड़ क्षेत्र ही वास्तव में प्राकृतिक आपदा से क्षतिग्रस्त हुआ था। इसका मतलब साफ है- पोर्टल पर दावा करना आसान है, लेकिन सत्यापन के बाद ही असली लाभार्थी तय होते हैं।
11 साल में 15,448 करोड़ रुपये- सरकार का दावा
सीएम सैनी ने स्पष्ट कहा- “राज्य सरकार किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। अगर किसान का नुकसान होता है, तो सरकार भरपाई करती है।” उनके मुताबिक, पिछले 11 सालों में सिर्फ फसल खराब होने पर ही किसानों को मुआवजा और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 15,448 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं।
लेकिन यह आंकड़ा असल मायने में क्या कहता है? अगर हर साल औसतन 1,400 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुआवजा बंट रहा है, तो इसका मतलब है कि या तो फसलों को नुकसान बहुत ज्यादा हो रहा है, या सरकार का सिस्टम पहले से ज्यादा एक्टिव है।
कांग्रेस पर सीएम का हमला- ‘2-5 रुपये के चेक देती थी’
सियासी तीर चलाने में सीएम सैनी पीछे नहीं रहे। उन्होंने कहा, “कांग्रेस किसानों के साथ कैसा भद्दा मजाक करती थी, ये लोग अच्छे से जानते हैं। कांग्रेस के समय पटवारी धरातल पर ठीक से सत्यापन भी नहीं करते थे। जिन किसानों को मुआवजा दिया भी जाता था, उनको 2-2 रुपये और 5-5 रुपये के चेक दिए जाते थे।”
इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस सरकार के 10 साल के शासनकाल में सिर्फ 1,138 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि जारी की गई थी। जबकि उनकी सरकार ने सिर्फ 11 साल में 15,448 करोड़ रुपये दे दिए। इसके अलावा, 2014 में सत्ता में आने के बाद 2015 में उन्होंने कांग्रेस सरकार का बकाया 269 करोड़ रुपये किसानों के खातों में पहुंचाया।
6 पटवारी सस्पेंड- लापरवाही पर सख्त कार्रवाई
सीएम सैनी ने यह भी खुलासा किया कि खरीफ सीजन-2025 में फसल नुकसान के सत्यापन में लापरवाही बरतने वाले 6 पटवारियों को निलंबित कर दिया गया है। उनका साफ संदेश है- “सरकार का स्पष्ट एजेंडा है कि हर नागरिक के प्रति जवाबदेही है। आगे भी यदि कोई अपने काम में कोताही या गलती करेगा, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
यह कदम दिखाता है कि सरकार सिर्फ किसानों को पैसा देने पर ही नहीं, बल्कि सिस्टम को सही रखने पर भी फोकस कर रही है। पटवारी स्तर पर लापरवाही अक्सर मुआवजा नहीं मिलने की सबसे बड़ी वजह होती है, और इसे दूर करने के लिए सस्पेंशन जरूरी है।
बाजरा किसानों को अलग से 358 करोड़ रुपये
बारिश के नुकसान की राहत के अलावा सरकार ने बाजरा किसानों के लिए एक और बड़ा ऐलान किया। खरीफ सीजन 2025-26 के लिए बाजरा भावांतर भरपाई योजना के तहत 1 लाख 57 हजार किसानों को 358 करोड़ 62 लाख रुपये की राशि जारी की गई है। यह राशि 575 रुपये प्रति क्विंटल की दर से तय की गई है।
सीएम सैनी ने कहा, “बाजरे की खरीद 23 सितंबर से शुरू हुई थी। इस सीजन में कुल 6 लाख 23 हजार मीट्रिक टन बाजरे की खरीद की गई। अब तक किसानों को बाजरा भावांतर के रूप में 927 करोड़ रुपये मिल चुके हैं। आज की राशि जोड़कर यह 1,285 करोड़ 62 लाख रुपये हो गई है।”
इससे साफ है कि राज्य सरकार ने बाजरा को प्रमुख फसल बनाने पर जोर दिया है, और MSP से कम बिकने पर किसानों को सीधे लाभ पहुंचाने की योजना चला रही है।
किसानों को मुआवजा राशि का ब्योरा
| फसल/योजना | जारी राशि (करोड़ रुपये) | लाभार्थी किसान |
|---|---|---|
| बाजरा (नुकसान) | 35.29 | – |
| कपास | 27.43 | – |
| धान | 22.91 | – |
| ग्वार | 14.10 | – |
| कुल मुआवजा | 116.15 | 53,821 |
| बाजरा भावांतर (अतिरिक्त) | 358.62 | 1,57,000 |
| 11 साल में कुल दी गई राशि | 15,448 | – |
| कांग्रेस के 10 साल में राशि | 1,138 | – |
कौन-कौन था मौजूद?
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की वित्तायुक्त डॉ. सुमिता मिश्रा, नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एके सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव अरुण कुमार गुप्ता, सहकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विजेंद्र कुमार, राजस्व विभाग के विशेष सचिव प्रभजोत सिंह, कृषि विभाग के निदेशक राजनारायण कौशिक, नगर नियोजन विभाग के निदेशक अमित खत्री, मुख्यमंत्री के उप प्रधान सचिव यश पाल, सूचना विभाग के महानिदेशक पार्थ गुप्ता, अतिरिक्त निदेशक मती वर्शा खांगवाल और मुख्यमंत्री के मीडिया सचिव प्रवीण आत्रेय मौजूद थे।












