Potato Cultivation: उत्तर भारत में पड़ने वाली कड़ाके की ठंड व कोहरे ने आलू की खेती करने वाले किसानों के लिए समस्या खड़ी कर दी है। इसे देखते हुए ICAR- केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान-रिजनल स्टेशन मोदीपुरम मेरठ ने आलू उत्पादक किसानों के लिए फसल की देखभाल के लिए जरूरी निर्देश जारी किए है।
आईसीएआर ने किसानों को आलू की फसल (Potato Crop) को पाले से बचाने के जानकारी दी हैं। किसान संस्थान द्वारा दी गई सलाह को अपनाकर आलू की खेती को नुकसान से बचाकर बंपर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। आइये जाने, संस्थान ने किसानों को क्या सलाह दी…
जाने! आलू की फसल को पाले से कैसे बचाएं
- ICAR द्वारा किसानों को दी जानकारी के मुताबिक, किसान साथी इस समय खेतों की नमी बनाए रखने के लिए नियमित अंतराल पर सिंचाई जरूर करें। क्योंकि पूरे उत्तर भारत में न्यूनतम तापमान गिरावट देखी जा रही है।
- कुछ क्षेत्रों में आलू की शीर्ष पत्तियों पर हल्का पीलापन देखने को मिल रहा है, इससे किसानों को ज़्यादा परेशान होने की जरुरत नहीं, क्योंकि मौसम के साफ होने और सूर्य की अच्छी धूप पड़ने से खुद ठीक हो जाएगा।
- आलू की खेती में अंतिम सिंचाई खुदाई के कम से कम 10 दिन पहले रोक दें।
- भंडारण के लिए रखी जाने वाली फसल के पत्ते काटने के 10 से 15 दिन के बाद आलू की त्वचा अच्छी तरह पकने पर ही खुदाई करें।
फफूंदनाशक दवा का करें छिड़काव
जिन किसान भाइयों ने आलू की फसल में अभी तक फफूंदनाशक दवा का छिड़काव नहीं किया है या जिनी आलू की फसल में अभी पिछेता झुलसा बीमारी प्रकट नहीं हुई है, उन सभी किसान भाइयों को यह सलाह दी जाती है कि वे मैन्कोजेब/प्रोपीनेब/क्लोरोथेलोंनील युक्त फफूंदनाशक दवा का रोगा सुग्राही किस्मों पर 2.0-2.5 किग्रा दवा 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव तुरंत करें।
साथ ही सलाह दी जाती है कि जिन खेतों में बीमारी दिख रही हो उन्में किसी भी फफूंदनाशक- साइमोक्सेनिल+मैन्कोजेब का 3.0 किग्रा प्रति हेक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से अथवा फेनोमिडोन+मैन्कोजेब का 3.0 किग्रा प्रति हेक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से अथवा डाईमेथोमार्फ 1.0 किग्रा+मैन्कोजेब 2.0 किग्रा (कुल मिश्रण 3 किग्रा) प्रति हेक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से छिड़काव करें।
फफूंदनाशक को 10 दिन के अंतराल पर दोहराया जा सकता है. लेकिन बीमारी की तीव्रता के आधार पर इस अंतराल को घटाया या बढ़ाया जा सकता है। किसान भाइयों को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि एक ही फफूंदनाशक का बार-बार छिड़काव ना करें। कवकनाशी, कीटनाशी, उर्वरकों और अन्य रसायनों के टैंक मिश्रण का छिड़काव किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें।