सरकार के इस कदम से क‍िसानों व गौ पालकों की बढ़ेगी आमदनी, श्रीसीमेंट कंपनी करेगी गोबर की खरीद

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नई दिल्ली : देश के क‍िसानों को आर्थ‍िक रूप से मजबूत बनाने के ल‍िए केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे है जिसके लिये अलग-अलग राज्‍य सरकारों द्वारा अपने-अपने स्तर पर व‍िभ‍िन्‍न सरकारी योजनाओं का संचालन किया जा रहा हैं। इसी दिशा में छत्‍तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य के गौ पालकों की आय में इजाफ़ा करने के लिये गोधन न्याय योजना (Godhan Nyay Yojana) चलाई जा रही है। इस योजना के तहत सरकार द्वारा प्रदेश के गौ पालकों से गौमूत्र और गाय का गोबर (Cow Dung) खरीदा जा रहा है।

इस योजना में अब छत्‍तीसगढ़ सरकार ने देश की सीमेंट न‍िर्माता कंपनी श्री सीमेंट (Shree Cements) के साथ गोबर की खरीद को लेकर करार किया है।इस करार के बाद अब आने वाले समय में अब सीमेंट कंपनी कोयले की बजाय गोबर का इस्तेमाल करेगी। छत्‍तीसगढ़ सरकार की तरफ से ग्रीन एनर्जी (Green Energy) को बढ़ावा देने की दिशा में इसे बड़ा कदम माना जा रहा है.

हर द‍िन की जाएगी 10 मीट्रिक टन गोबर की खरीद

छत्‍तीसगढ़ सरकार एवं सीमेंट न‍िर्माता कंपनी के बीच हुई डील का लाभ प्रदेश के गौ पालकों को मिलेगा। प्राप्‍त जानकारी के अनुसार श्री सीमेंट कंपनी ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए कोयले की बजाय अब हर द‍िन 10 मीट्रिक टन गोबर खरीदेगी। जानकारी के मुताबिक़ बलौदा बाजार-भाटापारा जिले के सिमगा ब्‍लॉक में स्‍थ‍ित श्रीसीमेंट उद्योग की तरफ से गोबर खरीद के ल‍िए सहमति दे दी गई है।

श्रीसीमेंट कंपनी सीमेंट बनाने में भट्ठियों में अब कोयले की बजाय गोबर को जलाएगी। इससे एक तरफ़ जहां कोयले की ख़रीद में होने वाला खर्च घटेगा तो वहीं दूसरी तरफ राज्य के क‍िसानों व गौ पालकों की भी आमदनी बढ़ेगी।

राज्य सरकार ने 2020 में शुरू की ‘गोधन न्याय योजना’

जानकारी के लिए आपको बता दें की छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने साल 2020 में ‘गोधन न्याय योजना’ की शुरुआत की थी। इस योजना के ज़रिए राज्‍य के द्वारा पशुपालकों और गौशाला से तय क़ीमत पर गोबर खरीदा जा रहा है। गोबर से जैविक खाद, दीये, अगरबत्ती और गुलाल आद‍ि तैयार क‍िये जा रहे हैं।

इस योजना का लाभ ले रहे राज्य के गौ पालकों को दिसंबर 2022 तक राज्‍य सरकार द्वारा 8.20 करोड़ रुपये जारी क‍िये जा चुके हैं।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जगत पाल पिलानिया है ! मैं ई मंडी रेट्स (eMandi Rates) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों को फसलों के ताजा मंडी भाव, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाना है। ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है।

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