Wheat: सरकारी स्टॉक की बिक्री के बावजूद गेहूं का भाव समर्थन मूल्य से नीचे आना मुश्किल

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Wheat Report: गेहूं एवं आटा की कीमतों में अभी तक आग लगी हुई थी। घरेलू प्रभाग में औसत खुदरा मूल्य गेहूं का 30 रुपए प्रति किलो एवं आटा का 35 रुपए प्रति किलो के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया था जो गत वर्ष की समान अवधि में क्रमश: 20 रुपए प्रति किलो एवं 25 रुपए प्रति किलो चल रहा था। हालांकि सरकार ने अब तेजी से बढ़ते भाव पर अंकुश लगाने के लिए 30 लाख टन गेहं का स्टॉक बाजार में उतारने का निर्णय लिया है और 1 फरवरी से इसकी बिक्री की प्रक्रिया भी विधिवत आरंभ होने वाली है, जिससे खुले बाजार में गेहूं तथा आटा का दाम घट जाएगा। लेकिन क्या कीमतों में उस स्तर तक गिरावट आ सकती है कि आगामी रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान सरकार को पर्याप्त मात्रा में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न की खरीद में सफलता मिल सके। सरकार का मूल उद्देश्य यही प्रतीत होता है। इसे भी पढ़े : गेहूं होगा सस्ता: सरकार ने 30 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेचने की घोषणा की

ध्यान देने वाली बात है कि 1 जनवरी 2023 को केन्द्रीय पूल में 171.70 लाख टन गेहूं का स्टॉक मौजूद था जो पिछले छह वर्षों का न्यूनतम स्तर होने के बावजूद आवश्यक बफर स्टॉक 138 लाख टन से ज्यादा था। सरकारी गणना के अनुसार 1 अप्रैल 2023 को नया रबी मार्केटिंग सीजन आरंभ होने के समय केन्द्रीय पूल में 126 लाख टन गेहूं बचना चाहिए था लेकिन उसमें से 30 लाख टन गेहूं बाहर निकल जाएगा और वहां कुल स्टॉक घटकर 100 लाख टन से नीचे आ जाएगा।

नियमानुसार 1 अप्रैल 2023 को पूल में कम से कम 75 का स्टॉक मौजूद जबकि वास्तविक 18-20 टन गेहूं केन्द्रीय लाख रहना चाहिए स्टॉक इससे लाख टन अधिक रह सकता है। यह सरकार के लिए ज्यादा संतोषजनक स्थिति नहीं होगी। अब आगामी मार्केटिंग सीजन की स्थिति पर गौर करें। गेहूं का बिजाई क्षेत्र इस बार बढ़ा है और मौसम की हालत भी कमोबेश अनुकूल है। लेकिन मार्च-अप्रैल का खतरी सामने है।

यदि मौसम सामान्य रहा तो गेहूं का उत्पादन बढ़ेगा। इससे मंडियो में आवक ज्यादा होगी और कीमतों पर दबाव पड़ेगा। लेकिन मिलर्स, स्टाकिस्ट एवं बल्क खरीदार भी इसकी खरीद के लिए तैयार रहेंगे। वे सरकारी समर्थन मूल्य से ऊंचे दाम पर किसानों से इसकी खरीद कर सकते हैं। इससे भारतीय खादय निगम एवं उसकी सहयोगी प्रांतीय एजेंसियों को गेहं खरीदने में कठिनाई होगी। केन्द्रीय पूल के लिए पर्याप्त मात्रा में गेहूं की खरीद सुनिश्चित करने हेतु सरकार को अतिरिक्त उपाय करने पड़ेंगे।

डिस्क्लेमर : नोट कृपया व्यापार अपने स्वयं के विवेक से करें। किसी भी प्रकार के नफे-नुकसान की जिम्मेदारी emandirates नहीं लेता।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जगत पाल पिलानिया है ! मैं ई मंडी रेट्स (eMandi Rates) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों को फसलों के ताजा मंडी भाव, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाना है। ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है।

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