चंडीगढ़, 19 सितंबर: हरियाणा प्रदेश की सभी 135 कृषि उपज मंडियों में आज यानी सोमवार से हड़ताल के चलते कामकाज बंद रहेगा। गौरतलब है की प्रदेश में आढ़त फिक्स करवाने , बासमती प्रजातियों को ई-नेम से जोड़ने का विरोध और धान खरीद (paddy procurement) 20 सितंबर से शुरू कराने आदि कई मांगों को लेकर हरियाणा स्टेट आढ़ती एसोसिएशन के आह्वान पर मंडियों में हड़ताल (Strike in Grain Markets) की जा रही है। मंडियों में आज से फसलों की खरीद-फरोत का कार्य पूर्णत: बंद रहेगा।
आढ़ती एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष अशोक गुप्ता ने मिडिया को जानकारी देते हुए बताया कि आढ़ती अपनी मांगों के बारे सरकार को कई बार अवगत करवा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ, जिसके चलते मजबूरन अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लिया गया है।
क्या है हरियाणा की मंडियों में हड़ताल की वजह ?
हरियाणा में आढ़तियों (Arhtiyas) की मुख्य मांग है कि उन्हें कमीशन पूरा दिया जाए। गेहूं का केवल 46 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से कमीशन दिया गया, जबकि उनका कमीशन 51 रुपए प्रति क्विंटल बनता है। वहीं मार्केट फीस भी अधिक बढ़ाई जा रही है।
हरियाणा में आढ़तियों पर 4% मार्केट फीस लगाई जा रही है, जबकि दिल्ली व राजस्थान में मार्केट फीस मात्र 1% है, जिसके कारण आढ़तियों में रोष है।
सरकार ई-नेम पोर्टल के माध्यम से आढ़तियों व किसानों के हितों का हनन कर रही है। ई- नेम पोर्टल के माध्यम से जब किसान अनाज लेकर मंडी में पहुंचेगा तो पहले मार्केट कमेटी उस अनाज की लैब करेगी और उसके बाद पोर्टल पर चढ़ाएगी। इसके बाद पोर्टल से जो भी आढ़ती चाहे वह खरीद सकता है। इससे अनाज उठान में देरी होगी और किसानों को समय पर भुगतान भी नहीं मिल पाएगा।
इससे पहले 10 सितंबर की गोहाना रैली में कॉटन जिनर्स पर लगाए गए आरोपों से खफा जिनर्स एसोसिएशन ने एक दिन की सांकेतिक हड़ताल कर विरोध जताया था, लेकिन अब वे आढ़तियों का साथ दे रहे हैं।
किसानों को उठानी पड़ेगी मुश्किलें
सरकार और आढ़तियों की इस लड़ाई में किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा । क्योंकि खरीफ फसलों की कटाई चुगाई का कार्य शुरू हो चूका है। इस समय किसानों को फसलों को निकालने के लिए भी पैसों की जरूरत पड़ती रहती है। ऐसे में किसान नई फसल को मंडियों में बेचने के लिए नहीं ले जा पाएंगे और उन्हें पैसो की तंगी का सामना करना पड़ेगा।
मंडियों में हड़ताल का जल्द हो समाधान
ऐसे में हम सरकार से कहना चाहेंगे की वो जल्द से जल्द आढ़तियों की मांगों को संज्ञान में लेकर उनकी सभी जायज मांगों को पूरा करें. ताकि किसान को बेवजह परेशानी का सामना ना करना पड़े ।