नई दिल्ली : भारत सरकार द्वारा गेहूं की कीमतों (Wheat Price) में रिकॉर्ड तेजी को देखते हुए मई महीने में गेहूं के निर्यात पर रोक (India Wheat Export Ban) लगा दी थी। इसके बाद सरकार द्वारा पिछले महीने गेहूं के आटे के लिए निर्यात नीति में बदलाव किया गया था। साथ ही व्यापारियों को जिंस निर्यात करने से पहले अनुमति सिक्योर करने के निर्देश भी दिए गये थे। गेहूं के निर्यात पर रोक के बाद अब सरकार ने आटा (India Wheat Flour Export Ban) निर्यात , मैदा (India Maida Export Ban) और सूजी (India Semolina Export Ban) के निर्यात को सख्त बनाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए निर्यात पर बैन का फैसला लिया है। यह प्रतिबंध इस 14 अगस्त 2022 से प्रभावी होगा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक़ 14 अगस्त 2022 तक उन मैदा और सूजी की खेपों को निर्यात करने की अनुमति दी जाएगी, जिनकी जहाज पर लोडिंग नोटिफिकेशन जारी होने से पहले शुरू हो गई थी। अब गेहूं के आटा, मैदा, सूजी आदि के निर्यातकों को एक्सपोर्ट इंसपेक्शन काउंसिल से क्वालिटी सर्टिफिकेट लेने की जरूरत पड़ेगी। सरकार ने एक ताजा नोटिफिकेशन में इसकी जानकारी दी है।
इस अनुमोदन के बिना कोई निर्यात नहीं होगा
इससे पहले विदेश व्यापार महानिदेशालय ने जुलाई में व्यापारियों को कहा था कि गेहूं के आटे, मैदे और सूजी के निर्यात के लिए ट्रेडर्स को इंटर-मिनिस्ट्रियल कमिटी से मंजूरी लेने की आवश्यकता पड़ेगी। विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने एक नोटिफिकेशन में इसकी जानकारी प्रदान की थी। अधिसूचना में कहा गया है की, “गेहूं के आटे के लिए निर्यात की नीति फ्री ही बनी रहेगी, लेकिन इसका निर्यात करने के लिए गेहूं के निर्यात को लेकर बनी इंटर-मिनिस्ट्रियल कमिटी से मंजूरी लेने की जरूरत होगी।”
DGFT की नवीनतम अधिसूचना में कहा गया है कि अब इंटर-मिनिस्ट्रियल कमिटी (inter-ministerial committee) से Maida , SAMOLINA (RAVA/SIRGI), Wholemeal Atta और Resultant Atta के निर्यात के लिए मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता है। समिति की स्वीकृति प्राप्त करने के बाद ही, अब यह उत्पाद भारत से निर्यात किया जा सकता है। अधिसूचना के अनुसार, समिति की मंजूरी के बाद, गेहूं के आटे सहित इस उत्पाद की गुणवत्ता के लिए दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में स्थित एक्सपोर्ट इंसपेक्शन काउंसिल से गुणवत्ता प्रमाण पत्र लेने की आवश्यकता होगी।
इसलिए उठाया सरकार ने ये कदम
सरकार देश में बढती महंगाई को काबु में लाने के लिए भरसक प्रयास कर रही है, देश में बढ़ती गेहूं और गेहूं के आटे की कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है। दरअसल मई महीने में गेहूं निर्यात बैन के बाद देश से आटे व गेहूं से बने अन्य उत्पादों के निर्यात में तेजी देखने को मिली । जिसके चलते घरेलू बाजार में आटे समेत गेहूं की कीमतों में फिर से तेजी आणि शुरू हो चुकी है। सरकार का गेहूं के निर्यात का फैसला कारगर साबित नहीं हो पाया जिसके बाद अब सरकार को ये नया कदम उठाना पड़ा , जिससे उम्मीद की जा रही है की अब आने वाले दिनों में सुधार देखने को मिलेगा।
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