ताज़ा खबरें:

Wheat Export Ban: जानें ! गेहूं के निर्यात पर रोक क्यों लगाई गई है, गेहूं की कीमतों पर इसका क्या असर पड़ेगा ?

Jagat Pal

Google News

Follow Us

WhatsApp Group Join Now
WhatsApp Channel Join Now

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय एवं घरेलू स्तर पर गेहूं की दामों में हो रही वृद्धि पर काबू पाने के लिए शनिवार को बड़ा फैसला लिया है। डीजीएफटी (Directorate General of Foreign Trade) द्वारा आज जारी अधिसूचना में कहा गया है की सभी तरह के गेहूं के निर्यात (Wheat Export Ban) पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जा रही है। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा देश की खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ये कदम उठाया है। आइये जाने! सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर रोक के उठाये गये इस कदम से का असर पड़ेगा? 

गेहूं निर्यात पर रोक का होगा ये असर (Wheat Export Ban)

Wheat Export Ban
  1. गेहूं की कीमतों में आएगी गिरावट : सरकार के गेहूं का निर्यात तुरंत रोकने से सबसे बड़ा प्रभाव इसकी कीमत पर पड़ेगा, जो कि इस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 40 फीसदी तक बढ़ चुकी है। इसके साथ ही घरेलू स्तर पर बीते एक साल में गेहूं के दाम में 13 फीसदी का उछाल आया है। निर्यात पर रोक लगाए जाने से इसकी कीमत में तत्काल कमी आएगी। 
  2. तय एमएसपी पर पहुंचेगा रेट : गेहूं की कीमत में कमी आने के बाद दूसरा बड़ा फायदा ये होगा कि इसकी कीमत निर्धारित 2,015 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी के करीब पहुंच जाएगी। यहां बता दें कि शुक्रवार को दिल्ली के बाजार में गेहूं की कीमत लगभग 2,340 रुपये प्रति क्विंटल थी, जबकि निर्यात के लिए बंदरगाहों पर 2575-2610 रुपये प्रति क्विंटल की बोली लगाई गई थी।
  3. राज्यों से खरीद को मिलेगा बढ़ावा : कीमत कम होने के कारण सरकार को उन राज्यों से अपनी खरीद को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है, जहां व्यापारियों और जमाखोरों के पास कीमतों में और वृद्धि की उम्मीद में भंडार दबे हुए हैं। एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि फिलहाल 14 से 20 लाख टन गेहूं व्यापारियों के पास है।
  4. खाद्य सुरक्षा प्रबंधन में मदद : सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगाए जाने से देश की समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा पड़ोसी और अन्य कमजोर देशों की जरूरतों का समर्थन करने के मामले में भी इसका बड़ा प्रभाव देखने को मिलेगा क्योंकि सरकार के पास पर्याप्त मात्रा में स्टॉक मौजूद रहेगा। 
  5. आटा सस्ता होने से फायदा : गेहूं की किल्लत और बढ़ती कीमतों के कारण बीते कुछ हफ्तों में स्थानीय बाजारों में गेहूं के आटे की कीमतों में जोरदार तेजी देखने को मिली है। इस फैसले से आटे के दाम गिरेंगे और आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी। रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल में गेहूं के आटे का अखिल भारतीय मासिक औसत खुदरा मूल्य 32.38 रुपये प्रति किलोग्राम था, जो कि जनवरी 2010 के बाद से सबसे अधिक है।
  6. आम जनता के हित में कदम : कृषि विशेषज्ञों के अनुसार सरकार का वर्तमान हालातों के बीच उठाया गया यह कदम एक अच्छा स्टेप है, जो कि आम जनता के हित में है। कृषि विशेषज्ञ रविन्द्र शर्मा की मानें तो इस हीट वेब के कारण पहले से ही गेहूं के उत्पादन पर  नकारात्मक असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि निर्यात ज्यादा होने के कारण देश की खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन ठीक ढंग से नहीं हो पा रहा था। प्राइवेट सेक्टर बेलगाम घोड़े की तरह हो गए और इसका उदाहरण ये है कि चार साल के भीतर गेहूं की कीमत में जितना इजाफा हुआ, उससे पांच गुना ज्यादा तेजी आटे की कीमतों में आई है। 
  7. देश के स्टॉक में होगी बढ़ोतरी : रविन्द्र शर्मा ने कहा कि सरकार के इस फैसले से खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा और देश में स्टॉक पर्याप्त रहेगा। उन्होंने 2005-07 के बीच तत्कालीन सरकार के प्राइवेट कंपनियों को किसानों से गेहूं खरीदने का अधिकार दिए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय बड़ी मात्रा में निर्यात के कारण केंद्र को दो साल के भीतर 7.1 मिलियन टन का बड़ा आयात करना पड़ा था, वो भी दोगुनी कीमत में। ऐसे में सरकार की ओर से उठाया गया ये कदम बड़ी राहत देने वाला साबित हो सकता है।  
  8. संचालित योजनाओं के लिए फायदेमंद : गिरते माल का आकलन करने के बाद कुछ हफ्ते पहले ही सरकार ने मई से शुरू होने वाले पांच महीनों के लिए सरकार की मुफ्त राशन योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत वितरण के लिए राज्यों को गेहूं के स्थान पर 5.5 मिलियन टन चावल आवंटित करने का निर्णय लिया है। रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया था कि इससे करीब 55 लाख टन गेहूं तुरंत निकल जाएगा, जिसका इस्तेमाल स्टॉक बनाने में किया जा सकता है। गेहूं का निर्यात रोके जाने से स्टॉक में इजाफा होगा और इस तरह की योजनाओं में फिर से गेहूं का वितरण शुरू किया जा सकेगा। 
  9. खाद्य महंगाई पर दिखाई देगा प्रभाव : सरकार के इस फैसले के चलते खाद्य महंगाई में भी कमी आने की संभावना है। बता दें कि देश में महंगाई आसमान छू रही है, खुदरा महंगाई एक बार फिर लंबी छलांग मारते हुए अप्रैल महीने में 7.79 फीसदी पर पहुंच चुकी है। इस बीच अप्रैल में खाद्य पदार्थों पर महंगाई 8.38 फीसदी के स्तर पर पहुंच चुकी है। देश में आटे का खुदरा मूल्य इस समय 12 साल के शीर्ष पर है। इसमें कमी आने से जनता को राहत मिलेगी। 
  10. गेहूं पर महंगाई दर में आएगी गिरावट : मार्च महीने में भारत की थोक गेहूं मुद्रास्फीति दर 14 फीसदी रही थी, जो कि पांच साल से ज्यादा समय का उच्च स्तर था। गेहूं की कीमतों में गिरावट आने पर इस मोर्चे पर भी राहत मिलेगी। इससे घरेलू स्तर पर बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। 
  11. पिछले साल 1095 लाख टन के उत्पादन में से 433 लाख तन गेहूं की सरकारी खरीद की गई थी , यानि खरीद कुल उत्पादन का 39.5 फीसदी ।
  12. इस साल 13 मई तक तकरीबन 179 लाख टन गेहूं की खरीद की गई है, जबकि कुल उत्पादन 1050 लाख टन होने का अनुमान है , अगर इस वर्ष 185 लाख टन खरीद होती है तो यक कुल उत्पादन का मात्र 17.6 फीसदी होगा।
  13. नेशनल फ़ूड सिक्योरिटी को दुरुस्त बनाये रखना भी सरकार की जिमेदारी है।
  14. निर्यात पर बैन का कारण देश में उत्पादन और स्टॉक में कमी है।

Read Also : गेहूं निर्यात पर केंद्र सरकार ने लगाई तत्काल प्रभाव से रोक, गेहूं की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के चलते लिया ये फैसला

नमस्ते! मैं जगत पाल ई-मंडी रेट्स का संस्थापक, बीते 7 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती-किसानी, मंडी भाव की जानकारी में महारथ हासिल है । यह देश का पहला डिजिटल कृषि न्यूज़ प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है। किसान साथियों ताजा खबरों के लिए आप हमारे साथ जुड़े रहिए। धन्यवाद

Leave a Comment

WhatsApp Group Join Now
WhatsApp Channel Join Now